योग गुरु बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ४ जून को रामलीला मैदान पर हुई पुलिस कार्रवाई गृह मंत्री पी चिदंबरम के आदेश पर हुई है और इस पूरे मामले में उन्हें भी आरोपी बनाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में आज रामलीला मैदान पर हुई कार्रवाई पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि इस मामले में रामदेव समर्थकों की शिकायतों पर अफसरों के खिलाफ कोई अपराधिक प्रकरण क्यों दर्ज नहीं किया गया। मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी।
योग गुरु ने सुप्रीम कोर्ट को अपने जवाब में यह आरोप भी लगाया कि उनके साथ पुलिस ने मारपीट भी की।
बाबा रामदेव ने 4 जून से रामलीला मैदान पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन किया था। उनकी प्रमुख मांगों में विदेशों में जमा काला धन वापस लाना और इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना है। उनका अनशन उन्हीं मांगों को लेकर था, लेकिन पुलिस ने 4 और 5 जून की दरमियानी रात वहां कार्रवाई की। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और रामदेव समर्थकों को वहां से जबरन हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वमेव संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। दिल्ली पुलिस ने 11 जून को अपने जवाब में कहा कि बाबा रामदेव की जान को खतरा था, इस कारण यह कार्रवाई करनी पड़ी।
पुलिस के अनुसार बाबा को रामलीला मैदान पर योग शिविर की अनुमति दी गई थी, लेकिन वे वहां अनशन करने लगे। पुलिस ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कोई लाठीचार्ज नहीं किया और जो भी रामदेव समर्थक घायल हुए हैं, उन्हें भगदड़ के दौरान चोट आई हैं। पुलिस ने कहा कि योग गुरु को शांतिपूर्ण तरीके से वहां से जाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने विरोध किया। पुलिस ने बाबा समर्थकों पर पत्थरबाजी करने का भी आरोप मढ़ा। पुलिस के अनुसार बाबा को बताया गया था कि रामलीला मैदान पर धारा 144 लागू कर दी गई है, याने पांच या पांच से ज्यादा लोग वहां जमा नहीं हो सकते और वे शांतिपूर्ण तरीके से वहां से चले जाएं।
इस मुद्दे पर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने कोर्ट के आदेश के बाद व्यक्तिगत रूप से भी एक एफिडेविट दाखिल कर, पुलिस की कार्रवाई के कारणों को विस्तार से बताया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने किन परिस्थितियों में आंसू गैस के गोले छोड़े।
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बाबा के भारत स्वाभिमान संगठन को नोटिस जारी किया था और अपना पक्ष रखने को कहा। बाबा रामदेव ने शुक्रवार को कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री पी चिदंबरम के कहने पर पुलिस ने बेकसूरों के साथ अत्याचार किए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि वहां योग शिविर ही चल रहा था और 4 जून को वहां शिविर के तीन सत्र हुए। बाबा ने दावा किया कि अपने कथन के समर्थन में उनके पास वीडियो फुटेज भी मौजूद हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को घटना के समय के फुटेज कोर्ट में जमा करने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने पुलिस से यह भी पूछा है कि जब रामदेव समर्थकों ने पुलिस पर अत्याचार के आरोप लगाए थे, तब उनके खिलाफ मामले दर्ज क्यों नहीं किए गए।
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