वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार को उम्मीद जताई है कि स्विटजरलैंड के बैंक खातों में जमा काले धन से पर्दा शीघ्र ही उठने की उम्मीदें बन रही हैं. स्विटजरलैंड तथा भारत ने उम्मीद जताई है कि गुप्त बैंक खातों की जानकारी के आदान प्रदान के लिए संशोधित संधि इसी साल अस्तित्व में आ जाएगी. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का मानना है कि स्विस बैंकों में रखे गये काले धन के बारे में सूचना साझा करने के मकसद से भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संशोधित दोहरा कर बचाव संधि इस वर्ष के अंत तक अमल में आ सकती है.
भारत में स्विटजरलैंड के राजदूत फिलिप्प वेल्ती ने नयी दिल्ली में उम्मीद जताई कि संशोधित संधि को शीघ्र अमल में लाने के लिए उनका देश अपनी तरफ से सभी औपचारिकताओं को छह अक्तूबर तक पूरी कर लेगा. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सात अक्तूबर के बाद स्विटजरलैंड सरकार इस बारे में भारत सरकार को सूचित करने की स्थिति में होगी. विदेशों में जमा काले धन को लेकर इन दिनों देश में राजनीतिक तथा न्यायपालिका के स्तर पर काफी चर्चा हुई है.
स्विस नेशनल बैंक के नये आंकड़ों के अनुसार सभी स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तियों तथा कंपनियों की जमाएं 2010 के अंत में कुल मिलाकर लगभग 2.5 अरब डालर थीं. स्विटजरलैंड के केंद्रीय बैंक की ओर से इस मुद्दे पर अपनी तरह का पहला खुलासा है और जानकारों का कहना है कि भारतीयों का विदेश में जमा प्रत्यक्ष या परोक्ष धन इससे कहीं अधिक हो सकता है. भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में अरबों अरब डालर की राशि जमा कराने के आरोप तथा विवाद के चलते दोनों देशों ने दोहरा कराधान बचाव संधि में संशोधन का समझौता पिछले साल अगस्त में किया था. नयी संधि के अस्तित्व में आने से भारत एक जनवरी 2011 से स्विटजरलैंड के बैंक खातों की जानकारी हासिल कर सकेगा.
मुखर्जी ने कहा, 'हमने स्विट्जरलैंड के साथ पिछले अगस्त में मौजूदा डीटीएए में संशोधन के लिये मसौदे पर हस्ताक्षर किये थे. उनके कानून तथा संविधान के तहत अंतरराष्ट्रीय समझौतों को संसद तथा स्थानीय प्राधिकरणों से मंजूरी मिलना जरूरी है.’ उन्होंने इडिया हाउस में कहा, 'दोनों सदनों से मंजूरी का काम पूरा हो गया है.स्थानीय प्राधिकरणों से इस साल के अंत तक इसे मंजूरी मिलने की संभावना है.’ दोनों देशों के बीच दोहरा कराधान बचाव संधि को स्विटजरलैंड की संसद ने 17 जून को मंजूरी दी. अब यह संधि 100 दिन तक स्विटजरलैंड की आम जनता की जांच के लिए खुली रहेगी और यह अवधि 6 अक्तूबर को समाप्त होगी. अगर इस संधि पर जनता की ओर से कोई आपत्ति आती है तो जनमत संग्रह की जरूरत पड़ेगी. वेल्ती ने कहा, ‘अगर मैं सही साबित हुआ तो सात अक्तूबर के बाद हम भारत सरकार को सूचित करेंगे कि हम सूचनाओं के आदान प्रदान को तैयार है.’
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