संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं में अब उम्मीदवार अपना इंटरव्यू भी क्षेत्रीय भाषा में दे सकेंगे। इससे पहले साक्षात्कार सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी भाषा में दिया जा सकता था।
यूपीएससी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी। इसकी सिफारिशों के अनुसार उम्मीदवार ने भले ही मुख्य परीक्षा अंग्रेजी में दी हो। लेकिन वह साक्षात्कार क्षेत्रीय भाषा में दे सकता है। इसके लिए जरूरी है कि यह भाषा उसने परीक्षा के लिखित भाग में आवश्यक भारतीय भाषा के पेपर के लिए चुनी हो।
यह हलफनामा आईएएस परीक्षा देने वाले चितरंजन कुमार की याचिका पर दिया गया। उन्होंने वर्तमान नियम को चुनौती दी थी। इसके अनुसार यदि उम्मीदवार ने लिखित परीक्षा अंग्रेजी में दी हो तो उसे साक्षात्कार भी उसी भाषा में देना होगा। कुमार ने 2008 में आईएएस की लिखित परीक्षा अंग्रेजी में दी थी। लेकिन वे साक्षात्कार हिंदी में देना चाहते थे। हलफनामे के अनुसार, समिति की सिफारिशें यूपीएससी ने मान ली हैं। अब इसे सरकार का मत जानने के लिए भेज दिया गया है। राय लेने के बाद यूपीएससी जरूरी कर इसे लागू कर देगा। चीफ जस्टिस मोहित शाह और जीएस गोडबोले ने याचिका का निपटारा कर दिया है।
जनहित याचिका में कहा गया कि जिस नियम पर सवाल उठ रहे हैं वे अमीर समर्थक और गरीब विरोधी है। इसमें तर्क दिया गया कि साक्षात्कार लेने वालों को चाहिए कि वे किसी उम्मीदवार को उसके व्यक्तित्व के आधार पर परखें, न कि इस आधार पर कि वह अंग्रेजी बोल सकता है या नहीं। याचिका में कहा गया कि मौजूदा नियम संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और साथ ही यह राष्ट्र की जन नीति के खिलाफ भी है।
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