अब तक केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे दिनेश त्रिवेदी को प्रोन्नत कर रेल मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री ने दिया है। एनडीए दौर में ममता बनर्जी ने बतौर रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को यात्री सुख-सुविधा कमेटी का अध्यक्ष बनाया था।
कमेटी के अध्यक्ष के बाद महज सात साल में वे खुद रेल मंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए। सुरक्षा, संरक्षा पर उठ रहे सवाल, खस्ता होती माली हालत जैसी विपरीत परिस्थितियों से रेल मंत्रालय को बाहर निकालना दिनेश त्रिवेदी के लिए बड़ी चुनौती होगी। राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के बाद दिनेश त्रिवेदी ने कालका मेल दुर्घटना में घायल और मारे गए लोगों को सांत्वना देने सीधे कानपुर का रुख किया।
पार्टी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने त्रिवेदी को निर्देश दिया था कि पहले वे असम और कानपुर के पास हुए दुर्घटनास्थल का मौके पर जाकर मुआयना करें, पीड़ित परिवारजनों से मिलें तब फिर रेल भवन स्थित अपने कक्ष में जाकर औपचारिक रूप से मंत्री की कुर्सी ग्रहण करें। दिनेश त्रिवेदी ने कहा , ‘हमने पत्रकारों को मिलने रेल भवन नहीं बुलाया। विजय चौक पर खुले में मिलने का यही मकसद है कि पीड़ितों की खैरियत लेने के बाद ही मैं रेल भवन जाऊंगा।’ सोमवार को प्रधानमंत्री के आदेश के बाद भी रेल राज्यमंत्री मुकुल रॉय के असम न जाने से मचे बवाल के बीच इसे तृणमूल की ओर से ‘सीजफायर’ माना जा रहा है।
रेल दुर्घटनाओं के बाद पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने की घोषणा से कानपुर और असम में हादसे के बाद परहेज किया गया था। लेकिन रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद दुर्घटना में मृतकों के एक परिजन को रेलवे में नौकरी का ऐलान किया।
कांग्रेस का दबाव रंग नहीं ला पाया। रेल मंत्रालय तृणमूल कांग्रेस को देना पड़ा। खराब हालत से गुजर रहे रेल मंत्रालय में आमूलचूल परिवर्तन के लिए प्रधानमंत्री चाहते थे कि इस बार मंत्रालय कांग्रेस के कोटे में रहे। कांग्रेस पार्टी को मलाल है कि सीके जाफर शरीफ के बाद दशकों से रेल मंत्रालय कांग्रेस के पास नहीं रहा।
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