अमरीका ने कहा है कि वो इस्लामी ग्रुप अल शबाब के नियंत्रण वाले सोमालिया के अकालग्रस्त इलाक़ों में सहायता भेजेगा. लेकिन अमरीकी अधिकारी ये भरोसा चाहते हैं कि विद्रोही सहायता सामग्री के वितरण में दखल नहीं देंगे.
अमरीकी अल शबाब को आतंकवादी ग्रुप मानता है और पिछले साल उसने सोमालिया के उस बड़े इलाक़े में सहायता रोक दी थी, जो उसके नियंत्रण में था. संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिणी सोमालिया के दो इलाक़ों को अकालग्रस्त घोषित किया है. इन दोनों इलाक़ों में 50 साल से ज़्यादा समय के बाद ऐसा सूखा पड़ा है.
अल क़ायदा से जुड़ा अल शबाब दक्षिणी और सेंट्रल सोमालिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखता है. वर्ष 2009 में अल शबाब ने अपने नियंत्रण वाले इलाक़ों में विदेशी सहायता पर रोक लगा दी थी, लेकिन हाल ही में उसने इसकी सीमित रूप से अनुमति दी थी. यूएस एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि सहायता से अल शबाब को लाभ नहीं मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि लक्ष्य लोगों की ज़िंदगी बचाना है. जानकारों का कहना है कि ये अमरीका की नीति में बड़ा बदलाव है.
अप्रैल 2010 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक कार्यकारी आदेश जारी करते हुए अल शबाब को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया था. इसका मतलब ये था कि अल शबाब के नियंत्रण वाले इलाक़ों में अमरीकी सहायता नहीं भेजी जा सकती थी. इस समय सोमालिया बड़े अकाल से गुज़र रहा है. एक लाख 66 हज़ार से ज़्यादा लोग सोमालिया छोड़कर पड़ोसी कीनिया और इथियोपिया चले गए हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दक्षिणी सोमालिया के कई इलाक़ों में स्थिति और बदतर हुई है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून का कहना है कि सोमालिया की सहायता के लिए नए कोष की शीघ्र आवश्यकता है
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