कर्नाटक के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े ने खनन घोटाले से जुड़ी अपनी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा कार्यवाही पर संदेह जताते हुए कहा है कि उन्हें सिर्फ उच्चतम न्यायालय से उम्मीद है। कहा जा रहा है कि यह रिपोर्ट अगले सप्ताह राज्यपाल को सौंपी जाएगी। हेगड़े ने कहा, ''सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करेगी। मुझे सिर्फ उच्चतम न्यायालय से उम्मीद है।''
उन्होंने हालांकि कहा कि राज्य सरकार के लिए इस रिपोर्ट को स्वीकार करना अनिवार्य नहीं है। इस रिपोर्ट में राज्य के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को दोषी ठहराया गया है। येदियुरप्पा के अलावा राज्य के चार मंत्रियों को भी आरोपों के घेरे में लिया गया है। इनमें तीन मंत्री बेल्लारी जिले से हैं।
इस रिपोर्ट में लोकायुक्त ने कहा है कि 'बड़े गिरोह' ने मार्च, 2009 के बाद से 14 महीनों के भीतर सरकार को 1,800 करोड़ रुपये की चपत लगाई। हेगड़े खुद उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत कर्नाटक के खदान वाले इलाकों में अवैध गतिविधि की खुद निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि उनके पास साक्ष्य हैं। इसके अलावा बेल्लारी में चल रही अवैध चीजों को भी उन्होंने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) का उद्देश्य भी एक तरह से यही है। वे भी अवैध खनन को खत्म करना चाहते हैं। समिति यह रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश कर सकती है।''
उन्होंने हालांकि कहा कि राज्य सरकार के लिए इस रिपोर्ट को स्वीकार करना अनिवार्य नहीं है। इस रिपोर्ट में राज्य के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को दोषी ठहराया गया है। येदियुरप्पा के अलावा राज्य के चार मंत्रियों को भी आरोपों के घेरे में लिया गया है। इनमें तीन मंत्री बेल्लारी जिले से हैं।
इस रिपोर्ट में लोकायुक्त ने कहा है कि 'बड़े गिरोह' ने मार्च, 2009 के बाद से 14 महीनों के भीतर सरकार को 1,800 करोड़ रुपये की चपत लगाई। हेगड़े खुद उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत कर्नाटक के खदान वाले इलाकों में अवैध गतिविधि की खुद निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि उनके पास साक्ष्य हैं। इसके अलावा बेल्लारी में चल रही अवैध चीजों को भी उन्होंने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) का उद्देश्य भी एक तरह से यही है। वे भी अवैध खनन को खत्म करना चाहते हैं। समिति यह रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश कर सकती है।''
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