मुंबई में हुए तीन बम विस्फोटों की गुत्थी सुलझाने में जुटे जांच अधिकारियों का मानना है कि आतंकवादियों ने विस्फोटकों को तैयार करने के लिए संभवत: घटनास्थलों के नजदीक ही कहीं अपना 'सुरक्षित ठिकाना' बनाया था। सूत्रों के मुताबिक जांच अधिकारी इस पहलू पर भी काम कर रहे हैं कि विस्फोटों में देसी बमों का इस्तेमाल किया गया, जिनमें अमोनियम नाइट्रेट और तेल का इस्तेमाल किया गया था।
आईईडी तैयार करना काफी खतरनाक काम होता है क्योंकि एक छोटी सी चिंगारी से ही विस्फोट होने का खतरा बना रहता है, इसलिए काफी दूर से इसे लाना कठिन भी है और खतरनाक भी। सूत्रों के मुताबिक मुंबई और उसके आस-पास के इलाकों में विभिन्न स्थलों पर पुलिस की गश्त जारी रहती है, इसलिए आतंकवादी बम के साथ पकड़े जाने का खतरा मोल नहीं ले सकते थे। मुंबई में बुधवार को तीन जगहों पर हुए बम विस्फोटों में से दो स्थल तो एक दूसरे से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है और तीसरा विस्फोट स्थल दादर लगभग 12 किलोमीटर दूर है। मतलब यह है कि यदि विस्फोट स्थलों के निकट कोई सुरक्षित ठिकाना बनाया गया होगा, तो वह झावेरी बाजार या फिर ओपेरा हाउस के आस-पास हो सकता है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि घटनास्थलों से एकत्र किए गए सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद ऐसे संकेत मिले हैं कि मुंबई में तीन जगहों पर विस्फोटक रखने वाले आतंकवादी सम्भवत: स्थानीय नहीं हो सकते। खुफिया विभाग को फरवरी में हैदराबाद से ऐसी सूचनाएं मिली थीं कि इंडियन मुजाहिदीन के कुछ सदस्य हमले की योजना बना रहे हैं। इससे पूर्व, केंद्रीय गृहसचिव आरके सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि मुंबई विस्फोट का सुराग ढूंढने के लिए जांच एजेंसिया सीसीटीवी फुटेज की 11 सीडियों की जांच कर रही हैं। सिंह ने कहा था कि जिस स्कूटर में बम रखा गया था उसकी पहचान कर ली गई है। उन्होंने कहा कि स्कूटर की पहचान कर ली है, जिसमें एक बम रखा गया था। पूर्व के आंकड़ों के आधार पर बहुत सी बातें सामने आ रही हैं। कई लोगों से पूछताछ की जा रही और जांच जारी है।''
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