नोट के बदले वोट मामले में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को एक स्थानीय कोर्ट में सीधे-सीधे क्लीन चिट दे दी गई। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि मामले के ‘मास्टर आर्केस्ट्रा’ सुहैल हिंदुस्तानी से इन दोनों ही पार्टियों में से किसी ने भी संपर्क नहीं किया। सुहैल को 2008 में मनमोहन सिंह सरकार के विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने के लिए भाजपा सांसदों को रिश्वत दिए जाने के मामले में मुख्य षड्यंत्रकारी करार दिया गया है।
तीस हजारी अदालत की विशेष जज संगीता ढींगरा सहगल की अदालत में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने संजीव सक्सेना और सुहैल हिंदुस्तानी को पेश किया। जज ने सुहैल और अमर सिंह के करीबी रहे संजीव सक्सेना की रिमांड अवधि शुक्रवार तक बढ़ा दी है। पुलिस दोनों का आमना-सामना कराकर इस षड्यंत्र के बीच की कडिय़ों को जोडऩा चाहती है।
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि सुहैल खुद ही भाजपा के तीनों सांसदों की ओर से डील करने की कोशिश में जुटा था। उसने कई लोगों को फोन भी लगाए थे। सुनवाई के दौरान सुहैल के वकील आनंद ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि जांच के बीच में वह किसी पार्टी को क्लीन चिट कैसे दे सकती है। रिमांड की मांग का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि ढाई साल से पुलिस जांच कर रही है और उनके मुवक्किल ने उसका पूरा सहयोग किया है। सरकारी वकील राजीव मोहन ने कोर्ट में कहा कि सात सदस्यीय संसदीय समिति की 700 पेज की रिपोर्ट में पूरे घटनाक्रम के लिए सुहैल हिंदुस्तानी, संजीव सक्सेना और सुधींद्र कुलकर्णी को दोषी करार दिया था। सक्सेना ने भाजपा सांसदों के घर नोटों का बैग छोड़ा था। इसके वीडियो पुलिस के पास मौजूद है।
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