अंडरवर्ल्ड माफिया अबू सलेम के फर्जी पासपोर्ट मामले में भोपाल की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को सत्र न्यायालय ने बुधवार को बरकरार रखा। इस मामले में अबू सलेम को चार साल की सजा भुगतना होगा ।
19 नवम्बर 2010 को सीजेएम आरजी सिंह ने फर्जी दस्तावेज बनवाने पर अबू सलेम को दो मामलों में दोषी करार देते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अबु सलेम ने सत्र न्यायालय में अपील दायर की थी जबकि अभियोजन पक्ष ने सजा बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए सत्र न्यायालय ने दोनों पक्षों की अपील खारिज करते हुए सीजेएम न्यायालय के फैसले को सही ठहराया और अबू सलेम को चार साल की सजा बरकरार रखी।
फर्जी पासपोर्ट का मामला 2001 का है। यहां के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से अबु सलेम का दानिश बेग, उसकी पत्नी समीरा जुमानी का रूबीना बेग और पूर्व प्रेमिका मोनिका बेदी का फौजिया उस्मान नाम से फर्जी पासपोर्ट जारी किए गए थे। प्रकरण सामने आने पर भोपाल के कोह-ए-फिजा थाने में मामला दर्ज किया गया। इंटरपोल ने 2002 में मोनिका बेदी और अबू सलेम को पुर्तगाल के लिस्बन से गिरफ्तार किया। इसके बाद उसे प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। अबू सलेम को लगभग एक साल भोपाल जेल में रहना पड़ा था। इस मामले से मोनिका और दो अन्य आरोपियों को पहले ही बरी किया जा चुका है। अबू सलेम अब तक तीन साल आठ महीने की सजा काट चुका है। उसकी सजा नवम्बर 2011 में पूरी होने वाली है। अबू सलेम के वकील ने कहा है कि वे सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।
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