डेवी के प्रत्यर्पण की अनुमति से इंकार. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 9 जुलाई 2011

डेवी के प्रत्यर्पण की अनुमति से इंकार.


डेवी मामले पर भारत ने डेनमार्क के अदालत के फैसले को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला फैसला बताया है.
डेनमार्क को सख्त संदेश देते हुए भारत ने शुक्रवार को कहा कि पुरूलिया में हथियार गिराए जाने के आरोपी किम डेवी के प्रत्यर्पण की अनुमति देने से डैनिश हाई कोर्ट के इंकार का गंभीर और दूरगामी परिणाम हो सकता है और इससे अपराधियों और आतंकवादियों को बढ़ावा मिल सकता है.

विदेश मंत्रालय ने डेनमार्क की अदालत के फैसले पर निराशा जतायी और कहा कि डेवी को सौंपे जाने की भारत की मांग कायम है. मंत्रालय ने कहा कि उसकी गतिविधियों के लिए उसके खिलाफ इस देश में मामला चलना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारी राय में फैसला काफी गंभीर और दूरगामी प्रभाव वाला है और इससे आतंकवादियों एवं अपराधियों को बढ़ावा मिल सकता है. उन्होंने कहा कि हमें यह सूचना मिलने पर काफी निराशा हुई कि डेनमार्क के अधिकारियों ने नील्स होक उर्फ किम डेवी के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया.

प्रकाश ने कहा कि 9 अपैल, 2010 को डैनिश सरकार ने डेवी के प्रत्यर्पण का फैसला किया था लेकिन वहां के अधिकारी विभिन्न अदालतों में इस फैसले का बचाव करने में नाकाम रहे. यह अफसोसनाक है कि उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले के लिए डेनमार्क की अदालतों ने जो आधार दिए हैं, वे स्वीकार्य नहीं हैं. उन्होंने कहा कि डेवी के प्रत्यर्पण के लिए भारत की मांग अब भी कायम है. उसे अपनी कारगुजारियों के लिए भारत में कानून का सामना अवश्य करना चाहिए.

सरकारी सूत्रों ने जोर दिया कि डेनमार्क के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आतंकवादी और अपराधी उनके देश में आसानी से पनाह नहीं हासिल कर सकें. उन्होंने स्पष्ट किया कि दो देशों के संबंध और बातचीत हमेशा पारस्परिकता के सिद्धांत पर निर्भर करते हैं. इसके पहले भारत ने शुक्रवार कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं है कि डेनमार्क की अदालत यह महसूस करे कि देश में मानवाधिकार पृष्ठभूमि में चला गया है.
विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने कहा कि डेनमार्क की सरकार या अदालत को यह महसूस करने का कोई कारण नहीं है कि भारत में मानवाधिकार पृष्ठभूमि में चला गया है.

ढाका से नयी दिल्ली लौटने के दौरान कृष्णा ने संवाददाताओं से कहा कि मैं समझता हूं कि सरोकार रखने वाले हर किसी को यह बात बताना जरूरी है कि हम एक खुला और पारदर्शी समाज हैं और कानून के शासन में यकीन रखते हैं. डेनमार्क की सरकार या अदालत को यह महसूस करने का कोई कारण नहीं है कि भारत में मानवाधिकार पृष्ठभूमि में चला गया है. कृष्णा ने यह बात तब कही जब उनसे भारत के मानवाधिकार रिकार्ड की डेनमार्क की अदालत में आलोचना के बारे में पूछा गया. डेनमार्क की अदालत ने भारत में मानवाधिकार रिकार्ड खराब होने का आरोप लगाते हुए पुरूलिया हथियार कांड में भारत में अदालती कार्यवाही का सामना करने के लिए किम डेवी के प्रत्यर्पण की याचिका ठुकरा दी थी.

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