जन लोकपाल विधेयक को लेकर विभिन्न दलों से समर्थन जुटाने की मुहिम के तहत अन्ना हज़ारे समेत नागरिक समाज के अन्य सदस्यों ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मुलाक़ात की.
डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक में लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और रविशंकर प्रसाद सहित 11 शीर्ष नेता शामिल थे. नेताओं से मुलाकात के बाद अन्ना हज़ारे ने पत्रकारों से कहा कि लोकपाल बिल पर भाजपा का रुख़ सकारात्मक था.
अन्ना हजा़रे ने कहा, "हमारी उनसे अच्छी बात हुई. हमने संयुक्त मसौदा समिति के सरकारी प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा तैयार मसौदे के दोनों प्रारूपों को भाजपा नेताओं के समक्ष रखा. हमने उन्हें बताया कि किसमें क्या खा़मी और क्या विशेषताएं हैं."
प्रेंस कांफ्रेंस में टीम अन्ना के साथ मौजूद भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने अन्ना का खुलकर तो समर्थन तो नहीं किया, लेकिन कहा कि पार्टी मजबूत और प्रभावकारी लोकपाल बिल के पक्ष में है. रविशंकर प्रसाद ने कहा, "हमने गौर से उनकी बातें सुनी. उन्होंने हमें बताया कि लोकपाल और जन लोकपाल में क्या अंतर है? हमने उन्हें आश्वस्त किया कि हम सशक्त और प्रभावी लोकपाल के पक्ष में हैं.
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि भाजपा नेताओं ने कई सवाल पूछे. उनका एक अहम सवाल ये था कि लोकपाल किसी अच्छे व्यक्ति को ही बनाया जाएगा, यह कैसे सुनिश्चत किया जाए? इस बारे में कई और सुझाव आए. अब वे आपस में बैठकर इस बारे में पार्टी का रुख़ तय करेंगे. शनिवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक होगी. इसमें रविवार को होने वाली सर्वदलीय बैठक के बारे में रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा. अन्ना हज़ारे तीन जुलाई को होने वाली सर्वदलीय बैठक से पहले अलग- अलग राजनीतिक दलों से मिलकर लोकपाल विधेयक पर आम राय बनाना चाहते हैं. इसी सिलसिले में एक दिन पहले ही अन्ना हज़ारे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की थी. अन्ना के साथ चर्चा में नीतीश ने कहा कि वह राज्य में लोकायुक्त के गठन के पक्ष में हैं जिसके दायरे में मुख्यमंत्री पद भी आए. लेकिन प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर नीतीश ने अपने रुख़ का ऐलान नहीं किया.
समर्थन जुटाने की कवायद में अन्ना हज़ारे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव प्रकाश करात, जद-यू अध्यक्ष शरद यादव और राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजीत सिंह से भी मुलाक़ात कर चुके हैं. अब अन्ना हज़ारे और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात को लेकर चल रहा दुविधा भी ख़त्म हो गया है. अन्ना शनिवार शाम 4 बजे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट करेंगे.
डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक में लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और रविशंकर प्रसाद सहित 11 शीर्ष नेता शामिल थे. नेताओं से मुलाकात के बाद अन्ना हज़ारे ने पत्रकारों से कहा कि लोकपाल बिल पर भाजपा का रुख़ सकारात्मक था.
अन्ना हजा़रे ने कहा, "हमारी उनसे अच्छी बात हुई. हमने संयुक्त मसौदा समिति के सरकारी प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा तैयार मसौदे के दोनों प्रारूपों को भाजपा नेताओं के समक्ष रखा. हमने उन्हें बताया कि किसमें क्या खा़मी और क्या विशेषताएं हैं."
प्रेंस कांफ्रेंस में टीम अन्ना के साथ मौजूद भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने अन्ना का खुलकर तो समर्थन तो नहीं किया, लेकिन कहा कि पार्टी मजबूत और प्रभावकारी लोकपाल बिल के पक्ष में है. रविशंकर प्रसाद ने कहा, "हमने गौर से उनकी बातें सुनी. उन्होंने हमें बताया कि लोकपाल और जन लोकपाल में क्या अंतर है? हमने उन्हें आश्वस्त किया कि हम सशक्त और प्रभावी लोकपाल के पक्ष में हैं.
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि भाजपा नेताओं ने कई सवाल पूछे. उनका एक अहम सवाल ये था कि लोकपाल किसी अच्छे व्यक्ति को ही बनाया जाएगा, यह कैसे सुनिश्चत किया जाए? इस बारे में कई और सुझाव आए. अब वे आपस में बैठकर इस बारे में पार्टी का रुख़ तय करेंगे. शनिवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक होगी. इसमें रविवार को होने वाली सर्वदलीय बैठक के बारे में रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा. अन्ना हज़ारे तीन जुलाई को होने वाली सर्वदलीय बैठक से पहले अलग- अलग राजनीतिक दलों से मिलकर लोकपाल विधेयक पर आम राय बनाना चाहते हैं. इसी सिलसिले में एक दिन पहले ही अन्ना हज़ारे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की थी. अन्ना के साथ चर्चा में नीतीश ने कहा कि वह राज्य में लोकायुक्त के गठन के पक्ष में हैं जिसके दायरे में मुख्यमंत्री पद भी आए. लेकिन प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर नीतीश ने अपने रुख़ का ऐलान नहीं किया.
समर्थन जुटाने की कवायद में अन्ना हज़ारे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव प्रकाश करात, जद-यू अध्यक्ष शरद यादव और राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजीत सिंह से भी मुलाक़ात कर चुके हैं. अब अन्ना हज़ारे और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात को लेकर चल रहा दुविधा भी ख़त्म हो गया है. अन्ना शनिवार शाम 4 बजे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट करेंगे.
1 टिप्पणी:
ya BJP will sure support anna movement but not from heart dear frnd,but due to congress // BJP always opposed all the works done by congress ? its not good for democracy?
bjp thinks any how congress may go and billi ke bhag se sikhar tute aur mai raj karu? but its dream for bjp . these r fascists , never fit for this nation , anna jio bachh ke rahna , ye bjp wale kabhi bhi aapki topi hawa me uchhal denge
dr bn singh bhu vnsi
एक टिप्पणी भेजें