दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर 2जी मामले में मुकदमा चलाने का आदेश दिया और कहा कि उनके खिलाफ आपराधिक विश्वासघात के जुर्म का आरोप इसलिए लगाया गया क्योंकि महंगे स्पेक्ट्रम पर उनका प्रभुत्व था। इस आरोप में उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी ने राजा के अलावा पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा के खिलाफ यह कहकर आपराधिक विश्वासघात के जुर्म का ठोस आरोप तय किया कि दोनों दूरसंचार विभाग के राजनीतिक एवं प्रशासनिक प्रमुख थे।
न्यायाधीश ने कहा ‘प्रथम दृष्टया मैं इस बात से सहमत हूं कि जनसेवक होते हुए राजा और सिद्धार्थ बेहुरा जो दूरसंचार विभाग के क्रमश: राजनीतिक और प्रशासनिक प्रमुख थे का कीमती 2जी स्पेक्ट्रम पर प्रभुत्व था जिसका निपटारा उन्होंने कानून का उल्लंघन कर किया और जिसका नतीजा आरोपी कंपनियों को अवैध लाभ और राजा द्वारा 200 करोड़ रुपये की रिश्वत लिए जाने के रूप में निकला।’ उन्होंने कहा ‘..तदनुसार जनसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात की साजिश का आरोप सभी आरोपियों के खिलाफ भी लगा है लेकिन आपराधिक विश्वासघात का ठोस आरोप सिर्फ राजा और बेहुरा के खिलाफ है।’
न्यायाधीश ने कहा कि राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया कर्तव्य निर्वहन के तौर पर केवल मंत्री की मदद कर रहे थे। सीबीआई ने चंदोलिया के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात का अतिरिक्त आरोप लगाने की मांग की थी। अदालत ने चंदोलिया पर आपराधिक विश्वासघात के जुर्म की साजिश का आरोप तय किया। अदालत ने कहा ‘वह (चंदोलिया) सिर्फ मंत्री (राजा) की अपने कर्तव्य निर्वहन के रूप में मदद कर रहे थे और मंत्री की मदद करते समय वह भी साजिश का हिस्सा बन गए। यह यकीन करने का कोई आधार नहीं है कि उनका किसी संपत्ति पर कोई प्रभुत्व था जैसा कि अन्य के पास था।’
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