अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान मिली दानराशि को अरविंद केजरीवाल द्वारा इस्तेमाल के लिए निकाल लेने के स्वामी अग्निवेश के आरोपों का हजारे पक्ष ने खंडन किया है। हजारे के साथियों ने कहा कि आंदोलन में पारदर्शिता है और हो सकता है कि अग्निवेश नाराजगी के चलते इस तरह के आरोप लगा रहे हों। हजारे पक्ष ने कहा कि जनलोकपाल आंदोलन के लिए बतौर सचिवालय काम कर रहे संगठन ‘पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन’की ओर से आमदनी और खर्च का ब्योरा इस महीने के अंत तक जारी कर दिया जाएगा।
हजारे के साथी मनीष सिसौदिया के अनुसार, हमारी आय और खर्च का ब्योरा पहले से वेबसाइट पर है। हमने पिछले छह महीने का विशेष ऑडिट कराया है, जिसके विवरण इस महीने के अंत तक वेबसाइट पर डाल दिए जाएंगे। अग्निवेश के बारे में उन्होंने कहा, हमारी स्वामी अग्निवेश से कोई लड़ाई नहीं है। हो सकता है कि वह नाराजगी के चलते ऐसा कह रहे हों। बड़े जो कुछ कहें, उसका पलटवार करना हमारी परंपरा नहीं है। वह अच्छे व्यक्ति हैं और हम उनका सम्मान करते हैं।
सिसौदिया ने कहा कि हमने रालेगण सिद्धी में हुई कोर समिति की बैठक में मौजूद सभी सदस्यों से पीसीआरएफ का ट्रस्टी बनने को कहा था। रामलीला मैदान पर हजारे के अनशन के दौरान ही घोषणा कर दी गई थी कि दानराशि पीसीआरएफ के नाम से ही एकत्रित की जाएगी। अग्निवेश का आरोप है कि केजरीवाल ने हजारे के आंदोलन के दौरान दान में मिली 80 लाख रुपये से अधिक की धनराशि को अपने ट्रस्ट में जमा करके कोष का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा है कि केजरीवाल के संगठन पीसीआरएफ ट्रस्ट में अन्ना हजारे का नाम शामिल नहीं है।
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