अरुणाचल प्रदेश में नये हवाई अड्डे की महत्वाकांक्षी परियोजना के लिये स्थल के चयन को लेकर अब भी अनिश्चितता कायम है। कारसिंगसा में जहां चार वर्ष पहले शिलान्यास किया गया था, उस पर अब पुनर्विचार किया जा रहा है।
दो स्थानों के विकल्प को हवाई अड्डे के लिये खारिज कर दिया गया। इनमें से एक स्थान गुमटो के निकट इमची में था, लेकिन नदी का भराव क्षेत्र होने और असमान होने के चलते उसे खारिज कर दिया गया। एक अन्य विकल्प पोमा था, लेकिन इसकी भी संभावना खत्म हो गयी क्योंकि वहां हर समय बादल छाये रहते हैं। इन दोनों स्थानों की संभावना खत्म हो जाने के बाद ईटानगर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कारसिंगसा को चुना गया। वहां 20 फरवरी 2007 को तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने शिलान्यास कर केंद्र की ओर से पूर्ण मदद का आश्वासन भी दिया।
30 जून 2007 को रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत निर्णय किया गया कि यात्री उड़ानों की शुरुआत से पहले वायुसेना के प्रतिनिधियों को हवाई क्षेत्र समन्वय प्रक्रियाओं को तय करने के काम में शामिल किया जायेगा।
बहरहाल, स्थानीय आबादी की मंजूरी के बाद भूमि अधिग्रहण पूरा होते ही अचानक घोषणा की गयी कि नये संभावित स्थल के रूप में होलोंगी पर विचार किया जा रहा है। नागर विमानन आयुक्त हागे खोडा ने इसके पीछे यह कारण बताया कि कारसिंगसा में परियोजना महंगी साबित होगी क्योंकि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अनुसार वहां काफी ज्यादा खुदाई करनी होगी। इससे परियोजना की लागत बजट से अधिक हो जायेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें