वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) का बचाव करते हुए कहा कि लेखापरीक्षक ने विभिन्न घोटालों पर जारी अपनी रिपोर्ट में अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया।
पत्र सूचना कार्यालय द्वारा आयोजित आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में मुखर्जी ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मुझे नहीं लगता कि कैग ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण अथवा ऐसा कुछ किया है, क्योंकि कैग की बुनियादी जवाबदेही कमियों का पता करना है, कैग बिंदुवार इस काम को करता है।
कैग के बारे में मुखर्जी का यह वक्तव्य इस परिप्रेक्ष्य में काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार के विभिन्न वर्गों से कैग की रपटों और उसके अधिकार क्षेत्र को लेकर आलोचना की गई। कैग की 2जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पर जारी रिपोर्ट पर सरकार में बैठे कई लोगों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
प्रणव ने कहा कि जहां तक कैग की भूमिका का मुद्दा है, यह एक संवैधानिक संस्था है, कैग के कामकाज के बारे में जहां तक मेरी जानकारी है, उसका काम वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाना है। सरकार द्वारा तय नियमों, कानूनों और नियमन के संदर्भ में कहां अनियमितता बरती गई इसका पता लगाना है।
वित्त मंत्री ने कहा कि कैग की रिपोर्ट संसद में पेश होने के साथ ही अपने आप स्वीकृत नहीं हो जाती है। संसद की लोक लेखा समिति इसकी जांच परख करती है, वह कैग की रिपोर्ट पर अपनी रिपोर्ट देती है, उसके बाद यदि संसद इसे मंजूरी देती है, तभी इसपर आगे कार्रवाई होती है। संसद की लोकलेखा समिति की रिपोर्ट के बाद ही इसे अंतिम माना जाना चाहिये।
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