दुनिया ने कम्प्यूटर और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई प्रयोग देखे हैं, लेकिन तकनीक में नई क्रांति लाने वाले एप्पल के दूरदृष्टा सह संस्थापक स्टीव जॉब्स की बात ही अलग है। एप्पल की वेबसाइट से लेकर उसके उत्पाद बाजार में अलग ही नजर आते हैं। पर्सनल कम्प्यूटर से लेकर आईपॉड, आईपैड और आईफोन के जनक जॉब्स जो चाहते थे, उसे पाकर ही रहते थे। इस महान दूरदृष्टा का बुधवार को 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
स्टीवन पॉल जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को में हुआ था। उनके माता-पिता विश्वविद्यालय के अविवाहित छात्र-छात्रा थे। माँ जोआन शिबल थीं तथा पिता अब्दुलफतह जंदाली सीरियाई मूल के थे। एक स्थानीय हाईस्कूल में जॉब्स को गर्मियों के दिनों में लेट पैकार्ड के संयंत्र में पालो आल्टो में काम करने का मौका मिला। उन्होंने वहाँ एक साथी छात्र स्टीव वोजनियाक के साथ मिलकर काम किया, फिर एक ही साल बाद उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी ‘अटारी’ के साथ काम करने लगे। साथ ही उन्होंने अपने दोस्त स्टीव वोजनियाक के साथ मिलकर एक स्थानीय कम्प्यूटर क्लब में जाना शुरू किया। इसके कुछ दिनों बाद ही जॉब्स ने उपनगरीय कैलिफोर्निया के एक गैराज में अपने हाईस्कूल के दोस्त स्टीफेंसन वोजनियाक के साथ अपनी खुद की कंपनी शुरू की।
उन्होंने अपनी कंपनी का नाम अपने पसंदीदा फल ‘एप्पल’ पर रखा। वर्ष 1974-75 में सबसे पहले जॉब्स ने एप्पल-1 नाम से एक मशीन लाँच की। ये पहली ऐसी मशीन थी, जिसे तैयार करने के लिए उन्होंने किसी से धन उधार नहीं लिया और न उस बिजनेस का हिस्सा किसी को दिया। इसके बाद वे एप्पल-टू बनाने में जुट गए, जो 1977 के कैलिफोर्निया के कंप्यूटर मेले में दिखाया गया। नई मशीनें महँगी थीं। इसलिए जॉब्स ने एक स्थानीय निवेशक माइक मारकुला को ढाई लाख डॉलर कर्ज देने के लिए मनाया, उसी राशि से वोजनियाक को साथ लेकर उन्होंने एप्पल कंप्यूटर्स नाम की कंपनी बनाई। इसके ठीक 7 साल बाद जॉब्स ने 1984 में मैकिंटॉश बनाया, मगर उसके प्रचार के पीछे एप्पल में वित्तीय मुश्किलें चल रही थीं। मैकिंटॉश की बिक्री कम हो रही थी और कई लोग जॉब्स के तानाशाही रवैये से परेशान थे। इसके चलते कंपनी में एक सत्ता संघर्ष हुआ और जॉब्स को कंपनी से निकाल दिया गया। तब तक उन्होंने और चीजें सोच ली थीं।
1985 में उन्होंने ‘नेक्स्ट कंप्यूटर’ नाम से कंपनी बनाई। इस कंपनी ने एक साल बाद ग्राफिक ग्रुप को खरीद लिया। जॉब्स स्टीव की सोच हमेशा ऐसी थी कि वे भीड़ से अलग नजर आए और इसीलिए वे हमेशा ज्यादा से ज्यादा मेहनत करते थे। उनके परिवार में पत्नी, लॉरेन और तीन बच्चे हैं। वर्ष 1991 में विवाह से पहले के प्रेम संबंध से उनकी एक बेटी भी है। वर्ष 2004 में उनके अग्नाशय के कैंसर का इलाज हुआ, तब जॉब्स ने कंपनी से स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी ले ली और उसके बाद अगस्त में एप्पल के सीईओ पद से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। वर्ष 2009 में उनका यकृत बदला गया था। जॉब्स दुनिया के अग्रणी व्यवसायियों में से एक थे। उन्होंने आईपॉड तथा आईफोन जैसे उपकरण दुनिया को दिए। आईफोन के नए मॉडल 4 एस के लाँच के एक दिन बाद ही उनका निधन हो गया।
पाओ आल्टो, कैलिफोर्निया में कैंसर के बिगड़ने से उन्होंने अंतिम साँस ली। अंतिम समय में उनकी पत्नी और निकट परिजन मौजूद थे। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनकी मृत्यु पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि जॉब्स की निधन से दुनिया का एक दूरदृष्टा चला गया। दुनिया के ज्यादातर लोगों को उनके निधन की सूचना उसी उपकरण के जरिए मिली, जिसका उन्होंने आविष्कार किया था। इससे बड़ी श्रद्धांजलि उन्हें और क्या हो सकती है। प्रौद्योगिकी क्षेत्र की एक अन्य जानीमानी हस्ती बिल गेट्स ने जॉब्स के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि जॉब्स का गहरा प्रभाव आने वाली कई पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा। बहरहाल, कंपनी के मुताबिक स्टीव अपने पीछे एक ऐसी कंपनी छोड़ गए है, जिसे सिर्फ वही बना सकते थे। लिहाजा उनकी आत्मा हमेशा ही एप्पल की बुनियाद रहेगी।
---राजेन्द्र राठौर---
जांजगीर-चांपा (छत्तीसगढ़)
संपर्क - 09770545499, 07817-222143
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें