अन्ना हजारे और उनकी टीम ने एक बार फिर से जनलोकपाल के लिए आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। टीम अन्ना ने सोमवार से जनलोकपाल बिल के लिए मौन प्रदर्शन का सिलसिला शुरू कर दिया। इंडिया अगेंस्टन करप्शन के कार्यकर्ताओं ने आज संसद भवन के बाहर मौन प्रदर्शन किया। शाम साढ़े चार बजे विरोध प्रदर्शन के लिए पटियाला हाउस कोर्ट के समीप इंडिया गेट पर जमा होने की भी अपील की गई है। अन्ना के सहयोगी सुरेश पठारे ने बताया है कि 11 दिसंबर को अन्ना जंतर-मंतर पर एक दिन का सांकेतिक धरना-प्रदर्शन भी करेंगे।
मजबूत लोकपाल बिल पारित नहीं होने की स्थिति में 27 दिसंबर से रामलीला मैदान में एक बार फिर बड़े आंदोलन की तैयारी है। इसके लिए रामलीला मैदान बुक करा लिया गया है। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने 27 दिसंबर से 5 जनवरी तक रामलीला मैदान में आंदोलन करने की सशर्त इजाजत दे दी है। शर्त पुलिस से एनओसी लेने की है। हालांकि आधिकारिक तौर पर एमसीडी इससे इनकार कर रहा है, लेकिन टीम अन्ना के सदस्य का कहना है कि उन्हें एमसीडी से इजाजत मिल गई है।
टीम अन्ना ने दिल्ली पुलिस से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने के लिए आज अर्जी दी। टीम अन्ना ने इस अर्जी के साथ एमसीडी के एनओसी की कॉपी भी नत्थी की है। अन्ना इस बार अनशन रखेंगे या नहीं यह उनकी सेहत को ध्यान में रखते हुए कोर कमेटी करेगी। हालांकि टीम अन्ना ने स्पष्ट किया है कि वह शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन तक सशक्त लोकपाल बिल पास होने का इंतजार करेगी।
टीम अन्ना के सदस्यों के मुताबिक, खुद अन्ना ने लोकपाल बिल के मसौदे पर सरकार के रुख को देखते हुए एमसीडी व दिल्ली पुलिस से इजाजत ले लेने को कहा था। उन्हें आशंका है कि यदि संसद में सशक्त लोकपाल बिल पारित नहीं हुआ तो आंदोलन के लिए वक्त नहीं मिल सकेगा और सरकार कुछ अड़चनें भी लगा सकती है। उनका कहना है कि प्रस्तावित लोकपाल बिल शक्तिहीन और खाली टीन कनस्तर जैसा है। यदि प्रस्तावित आंदोलन हुआ तो राष्ट्रीय राजधानी में इस साल अन्ना का यह तीसरा बड़ा आंदोलन होगा।
अप्रैल में जंतर-मंतर पर अन्ना हजारे के अनशन की वजह से सरकार झुकी थी। लोकपाल बिल की ड्राफ्टिंग कमेटी में सिविल सोसायटी के सदस्यों को शामिल किया गया था। उसके बाद संसद के मानसून सत्र के दौरान अगस्त में उन्होंने 13 दिन तक अनशन किया था। हालांकि सरकार ने शीतकालीन सत्र में मजबूत लोकपाल बिल लाने का वादा किया है लेकिन टीम अन्ना को अब लग रहा है कि लोकपाल बिल पारित होने में अड़चनें आ रही हैं। 22 नंवबर से शुरू मौजूदा सत्र में अभी तक एक भी दिन काम नहीं हुआ है। ऐसी भी खबर है कि लोकपाल पर विचार के लिए बनी स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी सिफारिश में निचले स्तर की नौकरशाही को शामिल करने पर विचार नहीं किया है। जबकि यह टीम अन्ना की प्रमुख मांगों में एक है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें