टीम अन्ना की अहम सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता किरण बेदी पर जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोपों को टीम अन्ना ने पूरी तरह बेबुनियाद बताते हुए कोर्ट को ही कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि किरण बेदी के पक्ष को सुने बिना ही एफआईआर का आदेश दे दिया। अरविंद केजरीवाल ने सीधे तौर पर किरण बेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने वाले जज को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।
अरविंद केजरीवाल के अनुसार जज के समक्ष दो याचिकाएं पहुंची थीं। एक कॉमनवेल्थ घोटाले के संबंध में थी और दूसरी किरण बेदी के संबंध में। अरविंद के अनुसार, ' जज ने कॉमनवेल्थ घोटाले वाली याचिका पर एफआईआर का आदेश नहीं दिया जबकि किरण के खिलाफ दायर की गई फर्जी याचिका पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया। जज का यह फैसला न्याय व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े करता है।' संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'शुरु से ही आंदोलन को कमजोर करने के लिए आंदोलन से जुड़े प्रमुख लोगों पर निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। हम इस तरह के आरोपों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।'
अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा, 'कोर्ट ने किरण बेदी के खिलाफ दायर की गई फर्जी शिकायत पर किरण का पक्ष जाने बिना ही आदेश दे दिया। मामले की जांच कर रही पुलिस ने भी कोर्ट में कहा था कि वह पहले इसकी जांच करना चाहती है, लेकिन कोर्ट ने पुलिस को सीधे एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया।' अरविंद केजरीवाल ने न्यायपालिका पर सवाल उठाते हुए कहा, 'यह न्याय व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का नतीजा है। ऐसे उदाहरणों से न्याय व्यवस्था को लोकपाल के दायरे में लाने की हमारी मांग और मजबूत हो जाती है।' अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि कोर्ट ने बिना सबूतों के आधार पर ही फर्जी शिकायत पर किरण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया जबकि वेदांता फाउंडेशन और माइक्रोसॉफ्ट दोनों ने अपने संदेश में यह कहा है कि किरण ने किसी को धोखा नहीं दिया है।
रविवार को दिल्ली पुलिस ने किरण बेदी के खिलाफ विदेशी कंपनियों और संस्थाओं के साथ मिलकर धोखाधड़ी तथा गबन करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी। दिल्ली पुलिस के डीसीपी अशोक चांद ने बताया कि बेदी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 120 ( आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज की थी।
शनिवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए टीम अन्ना की प्रमुख सदस्य किरण बेदी की एनजीओ इंडिया विजन फाउंडेशन के खिलाफ 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। जबकि दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि याचिका दायर करने वाले वकील के पास कोई सुबूत नहीं है। दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा था कि अगर फंड के गलत इस्तेमाल का कोई मामला है भी तो शिकायत उन कंपनियों या लोगों को करनी चाहिए जिन्होंने बेदी के एनजीओ को दान दिया था। याचिकाकर्ता ने किरण बेदी की एनजीओ और मुंबई की वेदांता फाउंडेशन के खिलाफ विदेश से मिले दान के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता देवेंद्र चोहान ने किरण बेदी पर सरकारी जमीन का किराया वसूल करने का भी आरोप लगाया था। यह भी आरोप लगा है कि किरण बेदी ने अपनी एनजीओ में अपने रिश्तेदारों को नौकरी दी और एक व्यक्ति को दो एनजीओ से सैलरी दिलवाई।
किरण बेदी की एनजीओ और वेदांता फाउंडेशन ने अर्धसैनिक बलों के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए माइक्रोसॉफ्ट फाउंडेशन से 50 लाख रुपये का दान लिया था। लेकिन याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि ट्रैनिंग सेंटरों में मुफ्त शिक्षा के बजाए बच्चों से फीस वसूली गई। किरण बेदी की एनजीओ को ट्रैनिंग सेंटर, फर्नीचर और बिजली उपलब्ध करानी थी जबकि वेदांता फाउंडेशन को प्रशिक्षण और शिक्षकों की व्यवस्था करनी थी।
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