पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से नाटो के हवाई हमले पर अपना विरोध दर्ज कराने और निंदा करने के लिये औपचारिक रूप से संपर्क किया है। इस हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिक मारे गये थे और इसकी वजह से वाशिंगटन तथा इस्लामाबाद के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गये।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल्ला हुसैन हारून ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि 26 नवंबर को नाटो द्वारा पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर किये गये हमले की वजह से 24 पाक सैनिक और अधिकारी शहीद हो गये। उन्होंने अपने पत्र में बताया कि इस हमले में 13 सैन्यकर्मी घायल हो गये हैं।
हारून पिछले कुछ सप्ताह से पाकिस्तान में थे और 27 नवंबर को उन्होंने पत्र लिखा जिस पर अत्यावश्यक लिखा हुआ था। माना जा रहा है कि उन्होंने न्यूयार्क लौटने के बाद सबसे पहले जो काम किया उनमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव को पत्र लिखा जाना शामिल है। हारून ने महासचिव को इस्लामाबाद में कैबिनेट की रक्षा समिति द्वारा जारी बयान को भी भेजा है। यह बैठक नाटो हमले के बाद हुई आपात बैठक के बाद जारी किये गये थे, जिसकी अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने की थी।
26 नवंबर को जारी वक्तव्य में समिति ने नाटो के हमले की कड़ी निंदा की थी और कहा कि अमेरिका और नाटो के ब्रसेल्स स्थित मुख्यालयों में विरोध दर्ज करा दिया गया है। इसमें हमले के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से कड़ाई से निंदा की गई है, जिसने संप्रभुता का उल्लंघन किया है और आतंकवाद के खिलाफ नाटो तथा अंतरराष्ट्रीय सेना के साथ पाकिस्तान के सहयोग के आधार को नुकसान पहुंचाया है। इस बयान के जरिये हारून ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को पाकिस्तान द्वारा अमेरिका को शम्शी वायुसैनिक अड्डे को 15 दिन के अंदर खाली करने के फैसले के बारे में बताया गया है। हारून ने मून से कैबिनेट की रक्षा समिति द्वारा जारी बयान को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद के अध्यक्षों के पास भेजने और एक दस्तावेज के रूप में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों और महासभा के 193 सदस्यों के पास वितरित किये जाने का अनुरोध किया है।
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