पाकिस्तान से 1999 में हुए करगिल युद्ध से करीब एक साल पहले ही खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पड़ोसी देश की तैयारियों की जानकारी दे दी थी। सेना के एक वैचारिक संगठन का दावा है कि 1998 में आईबी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) के आसपास की गतिविधियों की रिपोर्ट दी थी।
सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (क्लॉज) के अध्ययन ‘पेरिल्स ऑफ प्रिडिक्शन, इंडियन इंटेलिजेंस एंड द करगिल’ के अनुसार, ‘2 जून 1998 को आईबी ने प्रधानमंत्री को एक विस्तृत नोट भेजा था। इसमें उन्होंने करगिल के पास नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी साजो-सामान की तैयारियों की जानकारी दी थी।’ अध्ययन के अनुसार,यह अनुमान लगाया गया था कि परमाणु शक्ति संपन्न होने के बाद पाकिस्तान करगिल में भाड़े के सैनिक भेज सकता है। इस नोट पर तत्कालीन आईबी प्रमुख ने ‘प्रोटोकॉल टर्म्स’ में दस्तखत किए थे। यह एक ऐसा चिह्न है जो बताता है कि दस्तावेज की विषय-वस्तु असाधारण रूप से संवेदनशील है। इस पर ध्यान देना जरूरी है।
आईबी ने जून-98 में प्रधानमंत्री को भेजे नोट में कहा था कि करगिल में एलओसी के पास पाकिस्तान तैयारी कर रहा है। भाड़े के सैनिक भेज सकता है। रॉ ने अक्टूबर-98 में आगाह किया था कि पाक सेना गठबंधन के सहयोगियों (भाड़े के सैनिक) की संभावित मदद के साथ सीमित लेकिन तेज हमला कर सकती है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने करगिल युद्ध से पहले पाकिस्तान के मंसूबों का सटीक आकलन किया था। विशिष्ट प्रारूप के बारे में उनका अनुमान गलत रहा। जून 1998 से मई 1999 के बीच रॉ, आईबी और सेना की खुफिया इकाई के पास 43 रिपोर्टे आईं जो बाद में करगिल में पाकिस्तान के मंसूबों से संबंधित पाई गईं।
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