गृह मंत्री पी चिदंबरम ने स्वीकार किया कि तृणमूल कांग्रेस का राज्यसभा में लोकपाल बिल के विरोध से सरकार हैरान थी। उन्होंने शनिवार को कहा कि सहयोगी दल के समर्थन के लिए बिल को संसद के बजट सत्र में पास कराने के लिए एक या दो संशोधनों को माना जा सकता है।
चिदंबरम ने लोकपाल और लोकायुक्त बिल 2011 को राज्यसभा में 29 दिसम्बर को पास न कराए जाने का बचाव करते हुए कहा कि सरकार के पास यह एकमात्र दूरदर्शी उपाय था और ऐसा कर सरकार ने बिल को जिन्दा रखा।
बीजेपी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी ने एक शानदार तरीका इजाद करते हुए कुछ अन्य पार्टियों के साथ मिलकर जानबूझकर 187 संशोधन पेश किए ताकि बिल पास न हो सके। चिदंबरम ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा "हमें तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) ने आश्चर्य में डाल दिया। हमने सोंचा कि बिल में एक प्रावधान को फिर से लिखकर उन्हें भरोसे में ले लिया है।" उन्होंने कहा "हम टीएमसी को विश्वास में लेने में असफल रहे। हमें विश्वास है कि अब और बजट सेशन के बीच तक हम बिल के प्रावधान को फिर से लिखेंगे या इसे सुधारेंगे ताकि तृणमूल हमारे साथ आ सके।"उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस को साथ लेकर चलने के लिए एक प्रावधान को दोबार से लिखा जा सकता है।
चिदंबरम ने कहा "हमें बिल को सुधार या फिर से परिभाषित करना होगा। जहां तक बिल को राज्यसभा में पास कराने का सवाल है हम एक या दो संशोधनों को मान सकते हैं। बिल एक दो संशोधनों के साथ वही होगा। हम 187 संशोधनों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। यह आसानी से न पहचाने जाने योग्य बिल होगा।" उन्होंने कहा सरकार को आगे कड़ी मेहनत करनी होगी लेकिन सरकार बिल को अगले सत्र में पास करा लेना चाहती है। ऊपरी सदन में बिल को लेकर हुई खींचतान के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा सरकार के पास बुद्धिमानी वाला सिर्फ एक उपाय था वह है कि बहस को अधूरा रखा जाए ताकि इसे बजट सत्र में लिया जा सके।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें