भोपाल गैस त्रासदी की 27वीं बरसी पर मुआवज़े का इंतज़ार कर रहे गैस पीड़ितों और उनके परिजनों ने शनिवार से अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया है. गैस त्रासदी के मुआवज़े और राहत के लिए संघर्ष कर रहे पाँच संगठनों ने संयुक्त रुप से रेल रोको आंदोलन की घोषणा करते हुए लोगों से अपील की है कि वे भोपाल से होकर गुज़रने वाली ट्रेनों से न गुज़रें.
शुक्रवार को इन पाँचों संगठनों ने डाओ केमिकल्स केमिकल्स को ओलंपिक-2012 का प्रायोजक बनाए जाने के विरोध में एक रैली निकाली. उन्होंने ओलंपिक आयोजन समिति के चेयरमैन सेबेस्टियन को के पुतले जलाए. 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरम्यानी रात मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में डाओ केमिकल्स के संयंत्र यूनियन कार्बाइड से रिसी ज़हरीली गैस से हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी और दसियों हज़ार घायल हो गए थे.
इस मामले में 1989 में हुए एक समझौते के अनुसार डाओ केमिकल्स ने 750 करोड़ रुपए का मुआवज़ा देने को राज़ी हुआ था लेकिन गैस पीड़ित इस राशि को अपर्याप्त मानते हैं और इसे लेकर वे अदालत में मुक़दमा भी लड़ रहे हैं. गैस पीड़ितों के हक़ के लिए लड़ रहे पाँचों संगठनों ने तीन दिसंबर से अनिश्चितकालीन रेल रोको का आह्वान किया है. इन संगठनों ने एक वेबसाइट पर कहा है, "अगर आप तीन दिसंबर को यात्रा कर रहे हैं तो अपना रिज़र्वेशन अभी रद्द कर लीजिए. इससे आपको होने वाली असुविधा का हमें खेद है लेकिन प्रधानमंत्री और सरकार तक अपना महत्वपूर्ण संदेश पहुँचाने के लिए हमें यही एकमात्र प्रभावशाली तरीक़ा दिखता है." संगठनों का कहना है कि वे लंबे समय से सरकार से बातचीत करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन इसका अब तक कोई असर नहीं हुआ है. ऐसे में इस तरह के आंदोलन का ही रास्ता बचा है.
गैस पीड़ितों का कहना है कि वर्ष 1989 में मुआवज़े को लेकर जो समझौता हुआ था वह बेहद अपर्याप्त था और इसके बाद पिछले साल यानी 2010 में इसके ख़िलाफ़ जो याचिका लगाई गई उसमें मरने वालों की संख्या और पीड़ितों की संख्या बहुत कम बताई गई थी. उनका कहना है कि पीड़ितों की बीमारियों की गंभीरता को भी इस याचिका में अनदेखा कर दिया गया.
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