पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने अमेरिका से 11 दिसम्बर तक शम्सी हवाईअड्डा खाली कर देने को कहा है। अमेरिका ड्रोन हमलों के लिए इस हवाईअड्डे का इस्तेमाल करता है। पाकिस्तान ने यह कदम अपनी सीमा चौकी पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के हमले के बाद उठाया है। इन हमलों में 24 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। अमेरिका ने गत शनिवार को अमेरिका को शम्सी हवाईअड्डा खाली करने को कहा था। गत 26 नवम्बर को पाकिस्तानी सीमा चौकी पर हुए नाटो हमले के बाद से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। अमेरिका पिछले दशक भर से शम्सी हवाईअड्डे का इस्तेमाल अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाइयां करने और पाकिस्तान के कबायली क्षेत्र में ड्रोन हमलों के लिए कर रहा था।
गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने अमेरिका को औपचारिक पत्र भेजकर शम्सी हवाईअड्डा खाली करने को कहा है। हमले के विरोध में पाकिस्तान नाटो का आपूर्ति मार्ग पहले ही बंद कर चुका है। उसने अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा के लिए होने वाले बॉन सम्मेलन में भी भाग न लेने का फैसला किया है। गिलानी ने बताया कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने मंगलवार को उनसे फोन पर बातचीत की थी और बॉन सम्मेलन के बहिष्कार पर पुनर्विचार करने को कहा था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान की वजह से अपनी सुरक्षा खतरे में नहीं डाल सकता। गिलानी ने कहा, "मैंने राष्ट्रपति करजई को बता दिया है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमले के लिए किया गया है और हम हमले का विरोध कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "पाकिस्तान अपनी सुरक्षा की गारंटी चाहता है।" गिलानी ने कहा कि करजई ने कहा कि पाकिस्तानी चौकी पर हमला अमेरिका और नाटो ने किया है और इसमें उनके देश का कोई हाथ नहीं है। गिलानी ने कहा, "बॉन सम्मेलन अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए हो रहा है लेकिन नाटो हमलों के मद्देनजर हमारी सुरक्षा की गारंटी कौन देगा। हम तब तक बॉन सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे जब तक हमें अपनी सम्प्रभुता, स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल जाती।"
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