अमेरिका ने कहा है कि एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते पाकिस्तान को आत्मरक्षा का अधिकार है और अमेरिका ने भी ऐसा ही किया है। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के प्रवक्ता ने यह बात कही है। पेंटागन का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने अपनी सेना को भविष्य में नाटो के किसी भी हमले का जवाब देने की खुली छूट दे दी है।
पेंटागन प्रवक्ता जॉन किर्बी ने माना कि नाटो हमले के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव आ गया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस मसले को गंभीरता से ले रहे हैं क्योंकि यह गंभीर मामला है।
जनरल कयानी के बयान पर किर्बी ने कहा, ‘मैंने कयानी का बयान देखा है। मैं उनके बयान पर या पाकिस्तान की सरकार पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। लेकिन हर संप्रभु राष्ट्र को अपनी सुरक्षा करने का हक है। मेरी समझ में शायद यही वजह है कि कयानी ने ऐसा बयान दिया है। उन्होंने आत्मरक्षा के अपने हक को दोहराया है। हम निश्चित तौर पर उनके इस हक का सम्मान करते हैं। हमने भी ऐसा ही किया है।’ नाटो के हमले को लेकर जारी गतिरोध के बीच पाकिस्तान ने अमेरिकी जांच में सहयोग करने से इंकार कर दिया है। यह जानकारी अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से दी गई है।
रक्षा विभाग के प्रवक्ता जॉर्ज लिटल ने शुक्रवार को इस हमले को ‘आतंक के खिलाफ जंग’ की राह में बाधा करार देते हुए कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान से जांच में सहयोग का अनुरोध किया था, लेकिन पाकिस्तान ने सहयोग न करने का निर्णय लिया है। पाकिस्तान का आरोप है कि अमेरिकी अधिकारियों ने सीमा पर आतंकवादियों पर हमले करने के लिए इलाके को खाली कराने के लिए पाकिस्तानी सैनिकों को गलत स्थान बताया था। पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को यह बात कही। पाकिस्तानी अधिकारियों का यह बयान अमेरिकी अधिकारियों की शुरुआती जांच के नतीजे को लेकर जारी बयान के उलट है। इससे पहले अमेरिकी मीडिया में खबर आई कि नाटो हमले की इजाजत खुद पाकिस्तान ने दी थी और पाकिस्तान हमले के बारे में पहले से जानता था।
26 नंवबर को अफगान-पाक सीमा पर पाकिस्तान के मोहमंद स्थित पाकिस्तानी सैन्य चौकी पर नाटो हवाई हमले में 24 पाकिस्तानी फौजी मारे गए थे। अमेरिका की वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा, ‘पाक अधिकारियों ने अमेरिकी हवाई हमलों की इजाजत दी थी। उन्हें पता नहीं था कि वहां उनकी सेना तैनात है।’ हमले के बाद पहली बार दिए इंटरव्यू में अमेरिकी अधिकारियों ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वह अफगान सेना के साथ तालिबान के खिलाफ ऑपरेशन चला रहे थे। तब पाकिस्तान-अफगान बॉर्डर पर बने अस्थायी कैंप से उन पर गोलियों से हमला हुआ। अधिकारियों ने कहा, ‘कैंप के खिलाफ हमने हवाई हमले की मांग की। इसके लिए पाक अधिकारियों से इजाजत मांगी थी। उन्होंने कहा कि उस इलाके में पाक सेना नहीं है और हम हमला कर सकते हैं। लेकिन बाद में पता चला कैंप में पाकिस्तानी सेना थी।’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें