जंतर मंतर पर अन्ना का अनशन शुरू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 11 दिसंबर 2011

जंतर मंतर पर अन्ना का अनशन शुरू

अन्ना हजारे ने प्रभावी लोकपाल की मांग के समर्थन में रविवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर दिनभर का अपना सांकेतिक अनशन शुरू कर दिया। जंतर मंतर से पहले अन्ना राजघाट गए और वहां उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि पर मत्था टेका। अन्ना कुछ समय तक वहां मौन बैठे रहे। अन्ना के इस सांकेतिक अनशन में सभी दलों के नेताओं को भी लोकपाल पर सार्वजनिक बहस में हिस्सा लेने और अपनी राय रखने के लिए आमंत्रित किया गया है। संसद की स्थायी समिति ने लोकपाल विधेयक का मसौदा संसद पटल पर रख दिया है। लेकिन अन्ना स्थायी समिति द्वारा विधेयक में की गई सिफारिशों से संतुष्ट नहीं हैं

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कुछ दिनों पहले अन्ना हजारे ने---- हमारे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने हेतु एक विशेष विधेयक को पारित कराने के लिए अनशन किया था । लेकिन मेरा विचार है कि---- अनशन-- केवल लोकप्रियता प्राप्त करने का एक नाटक था ।

सही बात तो यह है कि---- हमारे देश में जितना भी भ्रष्टाचार है, उसका केवल पन्द्रह प्रतिशत ही सरकार और सरकारी विभागों की वजह से है; शेष पिचासी प्रतिशत भ्रष्टाचार आम जनता की अपनी वजह से है । लेकिन क्या कभी अन्ना हजारे ने----- देश की आम जनता को सुधारने के लिए भी अनशन किया है ? नहीं, कभी नहीं |

सच तो यह है कि---- अन्ना हजारे को लोकप्रियता चाहिए, उन्हें देश के भले से कोई मतलब नहीं है | अगर अन्ना हजारे वास्तव में ही देश का भला करना चाहते होते तो सबसे पहले आम जनता को सुधारने के लिए अनशन करते लेकिन अन्ना हजारे ने देश की आम जनता को सुधारने के लिये कभी कोई अनशन नहीं किया ।

सच तो यह है कि---- हमारे देश में व्याप्त अधिकांश भ्रष्टाचार आम जनता की अपनी ही वजह से है । उदाहरण के लिए-----
१- बाज़ार से एक किलो मिठाई खरीदो तो लगभग ८५० ग्राम मिलती है (दुकानदार मिठाई में लगभग १५० ग्राम का डिब्बा भी तोल देते हैं और पैसा पूरा एक किलो मिठाई का लेते हैं),
२- दूध में पानी और साबुन-तेल मिलाकर बेचा जा रहा है,
३- किसान लोग---- सब्जियों और फलों को समय से पहले पकाने के लिये उनके पौधों में रासायनिक दवाओं का इंजेक्शन लगाते हैं और इस प्रकार से उन फल-सब्जियों को जहरीला बना देते हैं,
४- धार्मिक स्थलों पर बिजली चोरी की जाती है,
५- अनेक डोक्टर ---- एक्यूपंचर की डिग्री लेकर एलोपैथिक दवाओं से इलाज करते हैं,
६- होमियोपैथिक दवाएं बनाने वाली कम्पनियाँ, दवाओं की आड़ में शराब बेच रही हैं आदि-आदि |

ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं --- जिनमें आम जनता गलती करती है | पर तब जनता को सुधारने के लिए अन्ना हजारे ने कभी अनशन नहीं किया | तब आम जनता को सुधारने के लिए कोई -- किरण बेदी, रामदेव भी आगे नहीं आये | जब आम जनता गलती करती है तो यह सब लोग कहां पर जाकर सो जाते हैं ?

मेरा अन्ना हजारे को सुझाव है कि---- हे अन्ना हजारे, अगर तुम देश का भला चाहते हो तो पहले देश की आम जनता को सुधारो | जब देश की जनता सुधर जायेगी और ईमानदार हो जायेगी तो---- देश में से भ्रष्टाचार स्वयं ही दूर हो जायेगा ।

बेनामी ने कहा…

कुछ दिनों पहले अन्ना हजारे ने---- हमारे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने हेतु एक विशेष विधेयक को पारित कराने के लिए अनशन किया था । लेकिन मेरा विचार है कि---- अनशन-- केवल लोकप्रियता प्राप्त करने का एक नाटक था ।

सही बात तो यह है कि---- हमारे देश में जितना भी भ्रष्टाचार है, उसका केवल पन्द्रह प्रतिशत ही सरकार और सरकारी विभागों की वजह से है; शेष पिचासी प्रतिशत भ्रष्टाचार आम जनता की अपनी वजह से है । लेकिन क्या कभी अन्ना हजारे ने----- देश की आम जनता को सुधारने के लिए भी अनशन किया है ? नहीं, कभी नहीं |

सच तो यह है कि---- अन्ना हजारे को लोकप्रियता चाहिए, उन्हें देश के भले से कोई मतलब नहीं है | अगर अन्ना हजारे वास्तव में ही देश का भला करना चाहते होते तो सबसे पहले आम जनता को सुधारने के लिए अनशन करते लेकिन अन्ना हजारे ने देश की आम जनता को सुधारने के लिये कभी कोई अनशन नहीं किया ।

सच तो यह है कि---- हमारे देश में व्याप्त अधिकांश भ्रष्टाचार आम जनता की अपनी ही वजह से है । उदाहरण के लिए-----
१- बाज़ार से एक किलो मिठाई खरीदो तो लगभग ८५० ग्राम मिलती है (दुकानदार मिठाई में लगभग १५० ग्राम का डिब्बा भी तोल देते हैं और पैसा पूरा एक किलो मिठाई का लेते हैं),
२- दूध में पानी और साबुन-तेल मिलाकर बेचा जा रहा है,
३- किसान लोग---- सब्जियों और फलों को समय से पहले पकाने के लिये उनके पौधों में रासायनिक दवाओं का इंजेक्शन लगाते हैं और इस प्रकार से उन फल-सब्जियों को जहरीला बना देते हैं,
४- धार्मिक स्थलों पर बिजली चोरी की जाती है,
५- अनेक डोक्टर ---- एक्यूपंचर की डिग्री लेकर एलोपैथिक दवाओं से इलाज करते हैं,
६- होमियोपैथिक दवाएं बनाने वाली कम्पनियाँ, दवाओं की आड़ में शराब बेच रही हैं आदि-आदि |

ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं --- जिनमें आम जनता गलती करती है | पर तब जनता को सुधारने के लिए अन्ना हजारे ने कभी अनशन नहीं किया | तब आम जनता को सुधारने के लिए कोई -- किरण बेदी, रामदेव भी आगे नहीं आये | जब आम जनता गलती करती है तो यह सब लोग कहां पर जाकर सो जाते हैं ?

मेरा अन्ना हजारे को सुझाव है कि---- हे अन्ना हजारे, अगर तुम देश का भला चाहते हो तो पहले देश की आम जनता को सुधारो | जब देश की जनता सुधर जायेगी और ईमानदार हो जायेगी तो---- देश में से भ्रष्टाचार स्वयं ही दूर हो जायेगा ।