ए.बी. बर्धन ने रविवार को कहा कि यद्यपि वह अन्ना पक्ष के साथ कई मुद्दों पर सहमत हैं, लेकिन जनलोकपाल विधेयक को पूरी तरह स्वीकार किए जाने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दिखाई जा रही सख्ती के वह खिलाफ हैं। बर्धन ने कहा कि वह जन लोकपाल विधेयक के सभी बिंदुओं से सहमत नहीं हैं, और इसके साथ ही उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ताओं से लचीला रुख अपनाने को कहा। बर्धन ने कहा, "ऐसी उम्मीद न कीजिए कि जन लोकपाल के सभी शब्द, पूर्णविराम और अल्पविराम को स्वीकार किया जाएगा, लचीलापन लाइए। आपके पास दूसरों को सुनने का भी धैर्य होना चाहिए।"
अन्ना पक्ष द्वारा जंतर मंतर पर आयोजित बहस के दौरान अपनी पार्टी का रुख साफ करते हुए बर्धन ने प्रधानमंत्री, समूह-सी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने और सिटिजन चार्टर का जोरदार समर्थन किया। बर्धन ने कहा, "प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए। भ्रष्ट मंत्रियों के लिए तो एक समिति हो, मगर उसका मुखिया बाहर रहे..इसका क्या मतलब? इसलिए प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए।" बर्धन ने यह भी कहा कि समूह-सी के कर्मचारियों को भी लोकपाल के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "समूह-सी के कर्मचारियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि मेरे और आप जैसे आम आदमी का वास्ता ए और बी समूह के कर्मचारियों से नहीं पड़ता। समूह-सी के द्वारा हमें हर रोज पीड़ित होना पड़ता है।" बर्धन ने सीबीआई की जांच शाखा को भी लोकपाल के दायरे में लाए जाने का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इसे स्वतंत्र होना चाहिए।
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