बिहार विधान परिषद में विपक्षी सदस्यों ने सत्तापक्ष पर अपनी आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए सदन के भीतर शोर शराबा और नारेबाजी की, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा। विधानमंडल के उच्च सदन में सदस्य असलम आजाद ने अपना प्रश्न पूछने से इनकार कर दिया और कहा, प्रश्न पूछने से क्या फायदा विपक्षी सदस्य विरोधी दल के नेता गुलाम गौस सहित विपक्ष के कई सदस्य अपनी अपनी सीट पर खडे़ हो गये।
गौस ने आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश हो रही है। तब ही सदस्य कह रहे हैं कि प्रश्न पूछने का क्या फायदा सभापति ताराकांत झा ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और विरोधी दल के नेता को शांत रहने को कहा। विधायकों की नारेबाजी सुनकर सदन में मौजूद मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सदस्यों की उत्तेजना का मतलब समझ नहीं आ रहा है।
सदस्य एक बार अपना प्रश्न सचिवालय को भेज दे और वह मंजूर हो जाए तो सदन की संपत्ति बन जाता है। संसदीय प्रणाली में सवाल ही नहीं उठता है कि प्रश्न को न पूछा जाए। सदस्य को प्रश्न पूछना चाहिए। इससे पहले विपक्ष के सदस्यों ने राज्य में उर्दू शिक्षकों की बहाली को लेकर सदन के बाहर मुख्यद्वार पर और सदन के भीतर भी शोर शराबा किया।
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