लोकपाल को लेकर सरकार और टीम अन्ना के बीच छिड़ी ‘जंग’ के बीच इसमें आरक्षण की मांग के स्वर उभरने लगे हैं। 163 एससी-एसटी सांसद बुधवार को संसद भवन के बाहर बीआर अंबेडकर की मूर्ति के सामने धरने पर बैठे। इन सांसदों ने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा है।
अभियान की अगुवाई कर रहे लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान की मांग है कि लोकपाल को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का अनुसरण करना चाहिए और इसके लिए लोकपाल के पैनल में समाज के सभी पिछड़ा वर्गों और महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मसले पर न तो सरकार और न ही टीम अन्ना ही गंभीर है। गौरतलब है कि पासवान लोकपाल पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य हैं लेकिन हाल में उन्होंने स्थायी समिति की बैठकों का बहिष्कार किया।
कांग्रेस प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने पर सशर्त सहमत दिख रही है। बुधवार को सर्वदलीय बैठक हो रही है। इसमें इस बारे में कुछ फैसला हो सकता है। लेकिन न्यायिक जवाबदेही, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को सुरक्षा देने तथा सिटीजन चार्टर के मुद्दे पर तीन विधेयकों को कैबिनेट की मंजूरी से अन्ना हजारे और उनके साथी खफा हैं। अन्ना इन तीनों विषयों को लोकपाल बिल में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
अन्ना हजारे ने कहा है कि अलग से सिटिजन चार्टर बिल लाना गलत है। सरकार ने जो वादा किया था उसपर कायम रहना चाहिए। अन्ना ने यूपीए की अहम सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी से अनुरोध किया है कि उन्होंने रीटेल में एफडीआई के मुद्दे पर जैसा रुख दिखाया वैसा मजबूत लोकपाल के लिए भी करना चाहिए।
अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सिटिजन चार्टर बिल को अलग कर सरकार ने संसद का अपमान किया है। संसद ने 27 अगस्त को पारित प्रस्ताव में सिटिजन चार्टर को लोकपाल के दायरे में रखने की बात की गई थी लेकिन पीएम की अगुवाई में कैबिनेट ने कमजोर सिटिजन चार्टर बिल लाकर संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।
केजरीवाल ने भी ममता को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ‘ममता जी लोकपाल को तीन टुकड़े किए जाने पर खामोश क्यों हैं। उन्हें एफडीआई की तरह इस मुद्दे पर बोलना चाहिए। उन्हें संसद के प्रस्ताव और सीबीआई को लोकपाल के दायरे में रखे जाने के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए।’
अन्ना हजारे की अगुवाई में टीम अन्ना की कोर कमेटी की आज यहां बैठक हो रही है जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की भावी रणनीति तय की जाएगी। अन्ना ने संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल बिल नहीं पारित होने की सूरत में 27 दिसंबर को फिर से रामलीला मैदान में अनशन करने की चेतावनी दी है। टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने ट्विट किया है कि बैठक में 27 दिसंबर से शुरू होने वाले आंदोलन की योजना पर विचार किया जाएगा।
1 टिप्पणी:
gaaon to basne dijiye..
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