बिहार के ढाई करोड़ वयस्कों को यूनिक नंबरयुक्त आइडेंटिटी कार्ड (यूआईडी) दिया जायेगा। परियोजना में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने यूआईडी को ई-शक्ति परियोजना से जोड़ दिया है। इस काम पर अगले पांच वर्ष में 672 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।
परियोजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी बिहार ग्रामीण विकास सोसायटी को दी गयी है। इस आशय के प्रस्ताव को पिछले दिनों कैबिनेट ने भी अपनी मंजूरी दे दी। फिलहाल यूआईडी परियोजना में नंबर ही दिया जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग का मानना है कि मनरेगाकर्मियों का जॉब कार्ड बनाने के लिए जुटाये गये आंकड़ों और यूनिक आइडेंटिफिकेशन डाटाबेस अथॉरिटी ऑफ इंडिया के डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक आंकड़ों में समानता है। लिहाजा दोनों परियोजनाओं को जोड़ दिये जाने पर काम में और भी तेजी आ जायेगी। ई-शक्ति परियोजना के अन्तर्गत ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्य को एक सुरक्षित और उच्च क्षमता वाला इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट कार्ड दिया जा रहा है। इसी तर्ज पर राज्य के वयस्कों को यूनिक नंबरयुक्त आइडेंटिटी कार्ड दिया जायेगा।
योजना एवं विकास विभाग ने ग्रामीण विकास विभाग को पहले से ही यूआईडी परियोजना का निबंधक घोषित कर दिया है। यूआईडी के लाभ - कार्ड मिल जाने के बाद मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, बीपीएल-अन्त्योदय कार्ड, फिशिंग परमिट, सीमा क्षेत्र पहचान पत्र की जरूरत की खत्म हो जायेगी। सरकार को यह भी पता रहेगा कि यूआईडी कार्डधारी व्यक्ति सामाजिक और आर्थिक रूप से किस श्रेणी में है। इसी आधार पर नरेगा, इंदिरा आवास, वृद्धावस्था पेंशन के अलावा बीपीएल व अन्त्योदय योजना में अनाज-किरासन का लाभ उसे मिल सकेगा। ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पैन कार्ड और वैट-टिन नंबर लेने के लिए भी 16 अंकों वाला यूडीआई नंबर ही व्यक्ति का पहचान होगा।
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