वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उम्मीद जताई कि देश में नई आयकर व्यवस्था लागू करने के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) अप्रैल, 2012 से अमल में आ जाएगी। यह 1961 के आयकर कानून का स्थान लेगी।
राजधानी में ‘कर और समानता’ पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता प्रत्यक्ष करों के संबंध में नीतिगत बदलाव लाएगा। इसे अगले वित्त वर्ष से अमल में लाया जाना है।’
वित्त मंत्री ने कालेधन की समस्या से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने पर भी बल दिया। कर प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयास के तहत सरकार ने नई व्यवस्था लाने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने उत्पाद शुल्क और बिक्री कर जैसे अप्रत्यक्ष करों की व्यवस्था में सुधार के लिए भारत में किए जा रहे उपायों की भी जानकारी दी।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘हम (राज्य से केंद्र तक) पूरी अर्थव्यस्था के लिए सामान्य मूल्य वर्धित कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।’ देश में सरकार द्वारा कर सुधारों की दिशा में उठाए जा रहे कदमों का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कर चोरी तथा काले धन की समस्या से निपटने के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भी आह्वान किया। ‘कर चोरी प्रगतिशील कर नीति के लाभ को कमजोर करता है। मंत्री ने कहा, ‘इन मुद्दों के हल के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा सीमा पार बेहतर तालमेल के लिए कर प्रणाली को जोड़े जाने की जरूरत है...।’ ग्लोबल फिनांशियल इंटीग्रिटी रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुखर्जी ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं तथा विकासशील देशों से अवैध तरीके से सालाना औसतन 725 से 810 अरब डॉलर की पूंजी बाहर ले जाई जा रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें