मुद्रास्फीति में नरमी के बाद रिजर्व बैंक ने अब आर्थिक वृद्धि की सुध ली है। दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि में गिरावट से चिंतित रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इस बात का संकेत दिया कि वह मुद्रास्फीति पर कड़ी निगरानी रखते हुये आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
रिजर्व बैंक की शुक्रवार को जारी मध्य तिमाही समीक्षा में कहा गया है कि मुद्रास्फीति उसके अनुमान के दायरे में है लेकिन आर्थिक वृद्धि के समक्ष बढ़ता जोखिम स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ऐसे में ब्याज दरों में आगे और वृद्धि की जरुरत नहीं दिखाई पड़ती है।
फिलहाल, केन्द्रीय बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो दर को क्रमश 8.5 और 7.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है जबकि नकद आरक्षित अनुपात (सीआईआई) को भी छह प्रतिशत पर पूर्ववत रखा गया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 6.9 प्रतिशत रह गई थी जबकि पहली तिमाही में यह 7.7 प्रतिशत रही थी। एक साल पहले दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि आठ प्रतिशत से अधिक रही थी।
अक्टूबर 2011 में औद्योगिक उत्पादन में सीधे 5.1 प्रतिशत की गिरावट आ गई। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर जरुर केन्द्रीय बैंक को कुछ राहत मिली है। गत 3 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर पांच प्रतिशत से नीचे आ गई। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये ही बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरों में कहीं कोई बदलाव नहीं किया। मार्च 2010 के बाद से लगातार 13 बार रेपो और रिवर्स रेपो दरें बढ़ाने के बाद यह पहला मौका है जब रिजर्व बेंक ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया।
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