अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस और उसके महासचिव राहुल गांधी पर रविवार को जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने चाहा तो संसदीय समिति ने लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की सिफारिश कर डाली और हम अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं लेकिन समिति ने हमारी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि प्रधानमंत्री के वादे और संसद के प्रस्ताव तक को कूड़ेदान में डाल दिया गया। सोशल नेटवर्किं ग वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाने की केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि उनके इस प्रयास के बावजूद हजारों की तादाद में लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का समर्थन करने जुटे हैं।
केजरीवाल अन्ना हजारे के एकदिवसीय सांकेतिक अनशन के दौरान वहां जुटी भीड़ को सम्बोधित कर रहे थे। केजरीवाल ने अपने सम्बोधन में कहा, "क्या हमारे देश में वाकई लोकतंत्र हैं। क्या वास्तव में यहां जनता द्वारा जनता के लिए और जनता का लोकतंत्र है। क्या जनता इस देश की मालिक है।" उन्होंने कहा, "नहीं ऐसा नहीं है। यह हाई कमान द्वारा, हाई कमान के लिए और हाई कमान का लोकतंत्र है। यहां तो प्रधानमंत्री के कहे शब्दों का कोई मूल्य नही है।" प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा अन्ना हजारे को उपवास तोड़ने के लिए लिखे गए पत्र और संसद की ओर से पारित प्रस्ताव को लोगों को पढ़कर सुनाते हुए केजरीवाल ने कहा कि इन्हें कूड़ेदान में फेंक दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अन्ना से ग्रुप सी, सिटिजन चार्टर और न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने का वादा किया था।
उन्होंने कहा, "संसदीय समिति में एक बात पर सहमति बनी और वह यह है कि लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए। क्योंकि राहुल गांधी ऐसा चाहते थे। जबकि हम लम्बे समय से अपनी मांग कर रहे हैं लेकिन उस बारे में कोई सहमति नहीं बनी।" केजरीवाल ने कहा, "बड़ा दुखद है कि सांसदों से यह नहीं पूछा गया कि वे कैसा लोकपाल विधेयक चाहते हैं। उन्होंने हाई कमान से पूछा।" केजरीवाल ने कहा, "हमारे आंदोलन को सफल बनाने में एसएमएस की अहम भूमिका रही है। इसके लिए सिब्बल ने दूरसंचार नीति बदल दी कि एक सिम से 200 से अधिक एसएमएस नहीं भेजे जा सकेते।" उन्होंने कहा, "फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किं ग वेबसाइट से हमें अपने आंदोलन को मजबूत करने में काफी मदद मिली, इसलिए उन्होंने इस पर भी प्रतिबंध लगाने की कोशिश की। लेकिन इसके बावजूद देखिए..यहां कितने लोग जुटे हुए हैं।" टीम अन्ना के एक अन्य सदस्य कुमार विश्वास ने सिब्बल की विश्वनीयता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "वह कहते हैं कि इंटरनेट पर कार्टून होते हैं। हमारा कहना है कि इसमें हम क्या कर सकते हैं कि आपकी तस्वीर ही कार्टून की तरह लगे। आपको अपनी विश्वनीयता देखनी चाहिए।"
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