अन्ना ने लोकपाल को लेकर जो मांगें सरकार के सामने रखी थी, उसमें से ज्यादातर नहीं मानी गई. अब लोकपाल के सरकारी मसौदे को लेकर 14 और 15 दिसंबर को टीम अन्ना के कोर कमिटी की बैठक होगी. उम्मीद है कि इस बैठक में अन्ना भी शामिल होंगे. इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी.
अन्ना और सरकार के बीच लोकपाल बिल पर मामला लगातार बिगड़ता जा रहा है. सूत्रों के अनुसार स्टैंडिंग कमेटी में शामिल सरकार के प्रतिनिधियों ने अन्ना की ज्यादातर मांगों को खारिज कर दिया है. इसमे प्रधानमंत्री, ग्रुप सी और ग्रुप डी के सरकारी कर्मचारियों के साथ न्यायपालिका का मुद्दा भी शामिल है.
लोकपाल बिल पर अन्ना हजारे और सरकार की लड़ाई अब और तेज होती जा रही है. स्टैंडिंग कमिटी लोकपाल बिल के आखिरी मसौदे को तैयार करने के लिए माथापच्ची कर रही है लेकिन आजतक को सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक ये ड्राफ्ट कई मुद्दों पर अन्ना की मांगों के उलट है यानी अन्ना के कई प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया है. सूत्रों के अनुसार अभिषेक मनु सिंघवी की अध्यक्षता में बनी स्टैंडिंग कमेटी ने लोकपाल के दायरे से प्रधानमंत्री को बाहर रखा गया है. अन्ना की मांग थी कि लोकपाल के दायरे में ग्रुप सी और डी के सरकारी कर्मचारियों को शामिल किया जाए, लेकिन खबरों की माने तो स्टैंडिंग कमेटी ने ग्रुप सी के 57 लाख कर्मचारियों को भी लोकपाल की निगरानी से बाहर कर दिया है.
अन्ना न्यापालिका को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं जबकि सूत्रों की माने तो प्रस्ताव में जूडीशियरी में करप्शन के लिए अलग नेशनल जूडीशियल कमीशन बनाने को कहा गया है. मजबूत सिटीजन चार्टर बिल पर भी अन्ना की मांग पर स्टैंडिंग कमेटी का ज्यादा तवज्जों नहीं है. अन्ना लोकपाल की चयन कमिटी में गैर सरकारी सदस्यों को रखने की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार सरकारी सदस्यों को रखने पर जोर दे रही है.
एक तरफ अन्ना का अल्टीमेटम और दूसरी और स्टैंडिंग कमेटी का अड़ियल रुख. जाहिर है लोकपाल बिल का आखिरी मसौदा तैयार करने में सरकार को तगड़ी मशक्कत की जरुरत पड़ेगी और जब लोकपाल का फाइनल ड्राफ्ट पेश होगा तो टीम अन्ना और सरकार की तकरार यकीनन और बढ़ेगी. बीजेपी नेता कीर्ति आजाद ने भी लोकपाल को लेकर कांग्रेस पर हल्ला बोला है. उन्होंने कहा कि ये जनता के साथ गद्दारी है.
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