औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और विकास दर घटने के कारण कारोबारी जगत का ऐसा मानना है कि रिजर्व बैंक मध्य तिमाही समीक्षा शुक्रवार को जारी कर ब्याज दरों में वृद्धि के लम्बे सिलसिले को रोकेगा।
रिजर्व बैंक शुक्रवार को मौद्रिक नीति की मध्यतिमाही समीक्षा करेगा। रिजर्व बैंक मार्च 2010 से लगातार 13 बार वृद्धि रेपो और रिवर्स रेपो में कर चुका है ताकि मुद्रास्फीति पर अंकुश लगे। रेपो वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों की नकदी की तात्कालिक आवश्यकता के लिए उधार देता है।
हालांकि सकल मुद्रास्फीति दर अभी भी नौ प्रतिशत से उपर बनी हुई है। पर रिजर्व बैंक का कहना है कि अगर उसने ब्याज दर का शिकंजा नहीं चढाया होता तो मुद्रास्फीति का दबाव कम न होता। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति पिछले चार साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है।
उंची ब्याज दर और महंगे कर्ज के चलते औद्योगिक उत्पादन में अक्टूबर माह के दौरान सीधे 5.1 प्रतिशत की गिरावट आ गई। औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के साथ साथ चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि का अनुमान भी 8.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है। रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में जारी मध्यवर्षीय समीक्षा में संकेत भी दिया था कि यदि मुद्रास्फीति की स्थिति और ज्यादा नहीं बिगड़ती है तो वह ब्याज दरों में वृद्धि का सिलसिला रोक सकता है। बहरहाल, अर्थव्यवस्था में इस समय सबसे बड़ी चिंता धीमे पड़ते आर्थिक विकास को लेकर है।
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