भारत में सोशल मीडिया पर सरकार की कथित निगरानी से छिड़ी बहस के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि सरकारें आलोचना और बहस से बचने के लिए सोशल मीडिया तक लोगों की पहुंच रोक नहीं सकतीं।
मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र सूचना केंद्र की ओर से मून का एक बयान जारी किया गया। इस बयान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा पर जोर दिया है।
मून ने कहा कि अपनी वाजिब उम्मीदों को पूरा करने के लिए बहुत लोगों ने खुद को सोशल मीडिया से जोड़ा है। अब वे दिन बीत गए जब दमनकारी शासन सूचना के प्रवाह पर अंकुश लगा देते थे। आज के समय में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने के अपने उत्तरदायित्वों के तहत सरकारें आलोचना और सरकारी बहस से बचने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया तक पहुंच रोक नहीं सकतीं। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बयान में कहीं भी भारत में सोशल मीडिया पर कथित निगरानी को लेकर चल रही बहस का जिक्र नहीं किया गया है।
मून ने कहा, मानवाधिकारों पर सभी का अधिकार है। दुनिया भर में लोग न्याय, गरिमा, समानता और भागीदारी की मांग को लेकर एकजुट हुए हैं। उन्हें यह सब पाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि दुनिया में दमन बहुत है और कानून से बचने के रास्ते भी बहुत हैं। अब भी ऐसे बहुत लोग हैं, जिन्हें उनके अधिकार नहीं मिल पाए हैं। इस साल कई नए शासन आए हैं और मानवता के खिलाफ अपराधों एवं युद्ध अपराधों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नए कदम उठाए गए हैं। अधिकारों को लेकर नई चेतना लगातार फैल रही है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, इसमें कोई अपवाद नहीं होना चाहिए कि मानवाधिकारों पर सबका हक है। सभी के अधिकारों को सुनिश्चित करना होगा। ऐसा करके ही हम भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें