जब शुरू शुरू में प्लास्टिक आया तो लोगों को अत्यंत ही ख़ुशी हुई. बाज़ार जाने समय थैला पकड़ने के झंझट से छुटकारा मिली. वही प्लास्टिक आजकल प्रदूषण का एक कारण बन गया है फिर भी रोजमर्रा की जिन्दगी का अभिन्न हिस्सा खासकर पॉलिथिन बैग.
जमशेदपुर के जुस्को (JUSCO) ने प्रदूषण को कम करने के लिए प्लास्टिक के कचड़े से रोड बनाने की पहल की है. प्रयोग के तौर पर जुस्को ने एक इलाके के प्लास्टिक के कचड़े से ४०० फीट लम्बी सड़क का निर्माण भी प्रयोग के तौर पर कर दिया है. इस सड़क के निर्माण में अलकतरा के साथ प्लास्टिक मिलाया गया.
इस तरह के सड़क के निर्माण में पहले प्लास्टिक, थर्मोकोल,पॉलिथिन, प्लास्टिक कप इत्यादि को २.३६ और ४.७५ मिलीमीटर के आकार में काटा जाता है. अलकतरा को १७०० सेन्टीग्रेड तापमान पर गरम किया जाता है. अब जितना अलकतरा रहता है उसका ८% प्लास्टिक मिक्सिंग चेंबर में डालकर तबतक पिघलाया जाता है जबतक वह द्रव्य न हो जाये. पिघले अलकतरा को पिघले हुए प्लास्टिक में डाल दिया जाता है और ११०० से १२०० सेंटीग्रेड तापमान पर पहुँचने पर सड़क बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है.
इस तरह के सड़क निर्माण से प्रदूषण कम होने के साथ सड़क टिकाऊ भी होता है और अलकतरा भी कम लगता है.
जमशेदपुर के जुस्को (JUSCO) ने प्रदूषण को कम करने के लिए प्लास्टिक के कचड़े से रोड बनाने की पहल की है. प्रयोग के तौर पर जुस्को ने एक इलाके के प्लास्टिक के कचड़े से ४०० फीट लम्बी सड़क का निर्माण भी प्रयोग के तौर पर कर दिया है. इस सड़क के निर्माण में अलकतरा के साथ प्लास्टिक मिलाया गया.
इस तरह के सड़क के निर्माण में पहले प्लास्टिक, थर्मोकोल,पॉलिथिन, प्लास्टिक कप इत्यादि को २.३६ और ४.७५ मिलीमीटर के आकार में काटा जाता है. अलकतरा को १७०० सेन्टीग्रेड तापमान पर गरम किया जाता है. अब जितना अलकतरा रहता है उसका ८% प्लास्टिक मिक्सिंग चेंबर में डालकर तबतक पिघलाया जाता है जबतक वह द्रव्य न हो जाये. पिघले अलकतरा को पिघले हुए प्लास्टिक में डाल दिया जाता है और ११०० से १२०० सेंटीग्रेड तापमान पर पहुँचने पर सड़क बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है.
इस तरह के सड़क निर्माण से प्रदूषण कम होने के साथ सड़क टिकाऊ भी होता है और अलकतरा भी कम लगता है.
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