संसद की स्थायी समिति द्वारा लोकपाल विधेयक पर रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। समिति की रिपोर्ट राज्यसभा के सामने राजीव शुक्ला ने पेश की। इस रिपोर्ट में समिति के 30 में से कांग्रेस के तीन सदस्यों समेत 16 ने अपना असहमति नोट लगाया है। ये असहमति के नोट भिन्न-भिन्न मुद्दे हैं। कुछ ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की है तो कुछ ने ग्रुप सी और डी कर्मचारियों को भी लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की गई है।
रिपोर्ट पेश होने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2.30 बजे तक स्थगित कर दी गई। राज्यसभा की जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई विपक्षी सासंदों ने विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। गौरतलब है कि कृष्णा के खिलाफ लोकायुक्त ने जांच की बात कही है। रिपोर्ट में झूठी शिकायत पर दो वर्ष की बजाय न्यूनतम छह माह मामूली कैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की सिफारिश की गई है। यह प्रावधान बुरी नियत से शिकायत करने का दोष साबित होने के बाद ही लागू होगा। 19 दिसंबर को संशोधित बिल फिर से संसद में पेश किया जाएगा।
तीन कांग्रेसी सांसदों मीनाक्षी नटराजन, दीपादास मुंशी और पी. टी. थॉमस ने केंद्र सरकार के ग्रुप सी कार्मिकों को लोकपाल दायरे में नहीं रखने पर विरोध पत्र दिया है। वहीं, प्रधानमंत्री को दायरे में नहीं रखने पर भाजपा, बीजद, सपा, लोजपा, राजद और वाम दलों के 13 सांसद पहले ही विरोध पत्र दे चुके हैं। लोजपा लोकपाल में आरक्षण की मांग भी कर रही है।
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