झारखण्ड हाईकोर्ट ने 2007 में 19 लोगों की हत्या के मामले में मौत की सजा पाए चार संदिग्ध नक्सलियों को गुरुवार को बरी कर दिया। मृतकों में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का पुत्र भी शामिल था। न्यायमूर्ति आरके मेरेथिया एवं न्यायमूर्ति डीएन उपाध्याय की खंडपीठ ने चारों अभियुक्तों को संदेह के लाभ देते हुए बरी कर दिया।
गिरीडीह की स्थानीय अदालत ने इन चारों नक्सलियों को 2007 में चिलखारी गांव में 19 लोगों के नरसंहार के मामले में मौत की सजा सुनाई थी। जीतन मरांडी, मनोज राजूवर, अनिल राम एवं छत्रपति को मिली मौत की सजा का उनके परिजनों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध किया गया था। गवाहों के विरोधाभासी बयानों के आधार पर चारों अभियुक्तों को संदेह का लाभ दिया गया।
2007 में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान नक्सलियों ने उपस्थित भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस कार्यक्रम में बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप एवं उनके भाई नुनुलाल मरांडी उपस्थित थे। अनूप की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी।
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