अमेरिका अपने ड्रोन विमानों को भारत समेत अपने सहयोगी देशों को बेचना चाहता है। हालांकि अमेरिकी सांसद ड्रोन टेक्नॉलजी निर्यात किए जाने के खिलाफ हैं।
पेंटागन चाहता है कि नाटो के सदस्य देशों के पास ऐसे ड्रोन होने से अफगानिस्तान में और भविष्य में लीबिया सरीखे अभियानों के दौरान अमेरिका पर दबाव कम होगा। भारत काफी समय से इस्राइल से ड्रोन खरीद रहा है। वह खुद भी ड्रोन बनाने की क्षमता विकसित कर रहा है, लेकिन उसके पास प्रीडेटर्स और रीपर्स जैसे हमलावर ड्रोन नहीं हैं। अमेरिका अल कायदा और तालिबान के खिलाफ इन्हीं का इस्तेमाल करता है।
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