भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अगले हफ्ते से शुरू हो रहे रूसी दौरे के दौरान नौ समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। यह समझौते सैन्य, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र के हैं। इसके अलावा कूडनकुलम परमाणु संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई के निर्माण से संबंधित समझौते को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। पीएम मनमोहन 15 दिसंबर को रूस के तीन दिवसीय दौरे पर रवाना होगे। वह अगले दिन भारत रूस के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में रूसी दल का नेतृत्व राष्ट्रपति दिमित्रि मेदवेदेव करेंगे।
भारत में रूसी राजदूत एलेक्जेंडर काडाकिन ने बुधवार को एक पत्रकार वार्ता में दोनों देशों के बीच होने वाले सात से नौ समझौतों के बारे में बताया। उनका कहना था कि रूसी नौसेना जल्द ही आकुला-टू श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी के-152 नेरपा भारत को सौंपेगी। हालांकि उन्होंने इसे सौंपने की समयसीमा के बारे में नहीं बताया। भारत में इसका नाम आईएनएस चक्र रखा जाएगा। हाल ही में रूसी नौसेना प्रमुख एडमिरल ब्लादिमीर व्यसोत्सकी ने भी कहा था कि भारतीय चालक दल अब परमाणु पनडुब्बी को संचालित करने में पूर्णतया सक्षम है। इसे दस साल की लीज पर दिया जाएगा। इस लीज का समझौता करीब 900 डॉलर का होगा।
काडाकिन ने कहा कूडनकूलम संयंत्र पर भारत की आंतरिक समस्याओं के बावजूद रूस इस देश के साथ परमाणु क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है। स्थानीय लोगों के विरोध के चलते तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में दो संयंत्र शुरू नहीं किए जा सके हैं। उन्होंने कहा कि वे परमाणु संयंत्र की सिर्फ तीसरी और चौथी इकाई नहीं बल्कि पांचवीं-छठी, सातवीं-आठवीं और इससे भी आगे के समझौते के बारे में विचार कर रहे हैं। भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंधों का आधार रहे सैन्य समझौते के बारे में रूसी राजदूत का कहना था कि बहु प्रतीक्षित पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के सह उत्पादन की प्रक्रिया बढ़िया तरीके से चल रही है। काडाकिन ने उम्मीद जताई कि भारत के असैन्य परमाणु दायित्व नियमों से दोनों देशों के परमाणु सहयोग के क्षेत्र में बाधा नहीं आएगी।
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