प्रशांत महासागर में अपना पहला सैन्य अड्डा खोलने का ऐलान किया है। वह प्रशांत महासागर में सेशल्स द्वीप पर यह अड्डा खोलने वाला है। सोमवार को की गई इस घोषणा से भारत की चिंता निश्चित तौर पर बढ़ने वाली है।
चीन का कहना है कि वह अपनी नौसेना के लिए संसाधन और आपूर्ति मुहैया कराने के मकसद से यह सैन्य अड्डा खोलने जा रहा है। चीन के रक्षा मंत्रालय की ओर से की गई घोषणा में कहा गया है कि चीनी नौसेना को रक्षा मिशन के दौरान सेशल्स या कुछ अन्य देशों में जरूरत के मुताबिक आपूर्ति पहुंचाई जाएगी।
चीन ने प्रशांत महासागर में अपनी पैठ पहले से ही मजबूत कर ली है। उसने संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध संस्था इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी से 15 साल तक प्रशांत महासागर में अयस्क खनन के लिए करार किया है। चीन का यह ऐलान ऐसे समय आया है, जब पूरे 23 माह के गतिरोध के बाद शुरू हुए सामरिक संवाद में भारत और चीन साझा सैन्य अभ्यासों का दायरा बढ़ाने व नियमित संवाद करने पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों ने आपसी विश्वास बहाली के उपायों को आगे बढ़ाते हुए एक-दूसरे के यहां अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल भेजने पर भी सहमति जताई है। इसके तहत इसी माह एक चीनी प्रतिनिधिमंडल भारत आएगा जबकि अगले माह भारतीय प्रतिनिधिमंडल चीन जाएगा।
तीन दिन पहले रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा व चीन के डिप्टी चीफ आफ जनरल स्टाफ जनरल मा शियोतियान की अगुआई में दोनों देशों के बीच तीन घंटे तक चली बैठक में यह सहमति बनी। इस दौरान दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा के अलावा आपसी महत्व के मसलों पर भी बात हुई। सकारात्मक माहौल में दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत व चीन के बीच नियमित सैन्य अभ्यासों से बेहतर आपसी समझ विकसित करने एवं विश्वास बहाली में मदद मिलेगी। अगले साल होने वाले इन अभ्यासों का कार्यक्रम जल्दी ही तय कर लिया जाएगा जिसमें धीरे-धीरे अभ्यास का दायरा बढ़ाने की भी योजना है।
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