मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने चुनाव में आर्थिक भ्रष्टाचार को मुख्य कारण बताते हुये कहा कि धन बल चुनाव का सबसे बडा मुद्दा बन गया है। उत्तराखंड विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिये राज्य के दो दिवसीय दौरे पर आये कुरैशी ने संवाददाताओं से कहा कि चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च किये जाते है और चुनाव जीतने के बाद उसकी वसूली में लोग लग जाते हैं। यही आर्थिक भ्रष्टाचार का मुख्य कारण हो गया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आर्थिक भ्रष्टाचार बुनियाद तो चुनाव से ही शुरू होती है। इसलिये इसको रोकने के लिये आयोग द्वारा कई ऐहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न पार्टियों के साथ मुलाकात में उन लोगों को पेड न्यूज के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है तथा चुनावी खर्चे के लिये अलग से विशेष खाता खोलने का निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
कुरैशी ने बताया कि विभिन्न पार्टियों से बातचीत तथा अधिकारियों से मुलाकात के बाद उम्मीदवारों द्वारा किये जाने वाले खर्चे को नियंत्रित करने के विभिन्न उपायों पर चर्चा की गयी। कुरैशी ने बताया कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों द्वारा की जाने वाली जनसभा की वीडियो रिकार्डिंग करायी जायेगी तथा पर्यवक्षकों द्वारा एक शैडो रजिस्टर भी रखा जायेगा, जिसमें उम्मीदवार के खर्चे का अनुमानित विवरण दर्ज किया जायेगा और उसे उम्मीदवार के रजिस्टर से मिलान किया जायेगा। यदि कोई अंतर आयेगा तो उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।
कुरैशी ने कहा कि केन्द्र सरकार विधानसभा चुनाव में एक उम्मीदवार के लिये 11 लाख रुपए के खर्च की सीमा तय की गयी है। इसमें उम्मीदवारों का प्रत्येक चुनावी खर्च शामिल है। सभी उम्मीदवार को 14 दिनों में कम से कम तीन बार अपना रजिस्टर पर्यवेक्षक के सामने पेश करना होगा। कितनी सभायें की गयीं और कितने दौरे किए गए इसका भी विवरण देना होगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि पर्यवक्षकों को आदेश दिया गया है कि किसी प्रकार चुनावी गड़बड़ी के बारे में मीडिया की रिपोर्टों का भी संज्ञान लें। उन्होंने कहा, किसी के द्वारा शिकायत किये जाने का इंतजार नहीं करें, क्योंकि मीडिया तो चुनाव आयोग की आंख और कान हैं। उन्होंने बताया कि पेड न्यूज की शिकायतों की जांच के लिये प्रत्येक जिले में चार सदस्यीय एक मीडिया कमेटी बनायी गयी है, जिसमें तीन सरकारी सदस्य हैं और भारतीय प्रेस परिषद के सुझाव पर एक पत्रकार को भी शामिल किया गया है। इस कमेटी ने बिहार के चुनाव में काफी अच्छी भूमिका निभाई है। उस चुनाव में पेड न्यूज के 120 मामले पकडे गये, जिन्हें बाद में उम्मीदवार के खर्चे में शामिल किया गया।
कुरैशी ने कहा कि कुछ उम्मीदवारों के अपने न्यूज चैनल या अखबार हैं। यदि उनके चैनल या अखबार में उनके चुनाव प्रचार से संबधित समाचार आते हैं तो उनके रेट लिस्ट में मिलाकर उसे उम्मीदवार द्वारा किया गया खर्च माना जायेगा। इससे सभी उम्मीदवारों को प्रचार खर्च के लिये बराबरी का मौका मिलेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनावी सुरक्षा के बारे में पूछे गये एक सवाल के बारे में कहा कि उत्तराखंड में समुचित सुरक्षा व्यवस्था कर ली गयी है। चुनावी ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों को भी सैनिकों की तरह डाक मत डालने की सुविधा प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि जहां तक उत्तराखंड में जनवरी के अंतिम हफ्ते में बर्फबारी की बात है तो पिछले कई साल के रिकॉर्ड बताते हैं कि यहां फरवरी में बर्फबारी हुई थी। फिर भी यदि ऐसा होता है तो उन स्थानों पर मतदान को किसी अन्य तारीख पर कराये जाने पर निर्णय उसी समय किया जायेगा। कोई भी मतदाता अपना वोट डालने से वंचित नहीं रह पायेगा।
कुरैशी ने कहा कि जहां तक अति दुर्गम स्थानों पर मतदान की प्रक्रिया का निरीक्षण करने का सवाल है तो वेब कास्टिंग के माध्यम से वहां निगरानी कर ली जायेगी। उन्होंने कहा कि पार्टियों के कार्यालयों, कार्यकर्ताओं और नेताओं के घरों में झंडे पोस्टर लगाने की अनुमति तो दी जायेगी, लेकिन आम जनता के घरों पर ऐसी कोई अनुमति नहीं दी जायेगी क्योंकि इससे शिकायतें आती हैं कि उम्मीदवार जबर्दस्ती लोगों के घरों पर झंडे लगा जाते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि सभी मतदाताओं को अधिकतम 25 जनवरी तक मतदाता सूची उपलब्ध करा दी जायेगी। हालांकि, इस सूची को दो जनवरी से ही दिया जाना शुरू कर दिया जायेगा।
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बात सही है.
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