पाकिस्तानी प्रधानमंत्री गिलानी के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला सुप्रीम कोर्ट ने एक फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है। अब प्रधानमंत्री को अदालत में पेश होने की जरुरत नहीं है। गिलानी के वकील ने हालांकि एक महीने का वक्त मांगा था।
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही गुरुवार को शुरू हुई। प्रधानमंत्री गिलानी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह न्यायपालिका का सम्मान करते हैं। वह पहले भी अदालत के सामने पेश हो चुके हैं और सजा काट चुके हैं।
गिलानी ने कहा कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपति को छूट हासिल है और पाकिस्तानी संविधान ने हमारे राष्ट्रपति को छूट दी है। गिलानी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह अदालत की अवमानना करने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी अवमानना के नोटिस पर गिलानी झुकेंगे नहीं। सत्ता पर काबिज पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने यह फैसला किया है कि गिलानी कोर्ट से माफी नहीं मांगेंगे। पार्टी ने यह भी तय किया है कि गिलानी स्विट्जरलैंड सरकार को जरदारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई चिट्ठी भी नहीं लिखेंगे। गिलानी के वकील एतजाज एहसान उनका पक्ष रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी दिए गए नोटिस में उनसे पूछा गया था कि भ्रष्टाचार के मामलों को नए सिरे से खोलकर जांच और कार्रवाई न करने के लिए क्यों न उन पर अदालत की अवमानना का दोषी माना जाए? गिलानी के वकील एतजाज एहसान का कहना है कि पाकिस्तान के संविधान की धारा 242 (2) के तहत पाकिस्तान के राष्ट्रपति पर न तो पाकिस्तान में और न ही दुनिया की किसी भी अदालत में मुकदमा चलाया जा सकता है। उन पर मुकदमा तभी चल सकता है, जब वे पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद पर न रहें। अगर सुप्रीम कोर्ट गिलानी के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ तो उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ सकता है और जेल भी जाना पड़ सकता है।
पाकिस्तान दौरे पर आए भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल से बुधवार शाम मुलाकात के दौरान सांसदों ने गिलानी से कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आपको शांति पुरूष कहा था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, गिलानी ने इसके जवाब में कहा कि पाकिस्तान की राजनीति के संदर्भ में वह संकट पुरुष बने हुए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें