रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने मौजूदा वर्ष में वित्तीय नीतियों में ढील देने के संकेत दिए हैं। एक साक्षात्कार के दौरान सुब्बाराव ने कहा कि इस बात की पूरी उम्मीद है कि बैंक ज्यादा जोर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर लगाएगा। हालांकि उन्होंने इस बदलाव के बारे में कोई समय सीमा नहीं बताई।
श्री राव ने आशंका जताई कि आर्थिक नीतियों में ज्यादा कड़ा रुख विकास पर नकारात्मक असर डाल सकता है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक मंहगाई से निपटने के लिए मार्च 2010 से अब तक 13 बार ब्याज दरों में इजाफा कर चुका है। आरबीआई गर्वनर ने कहा कि पिछले दो सालों में हमने अपना फोकस मुद्रा स्फीति की बढ़ती दर पर किया हुआ था।
खाद्य पदार्थों और ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई काफी बढ़ गई है। इसी कारण आरबीआई को ब्याज दरों में इजाफा करना पड़ा ताकि ऋण लेना महंगा हो जाए और घरेलू स्तर पर मांग में कमी आए। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में बदलाव का असर दिखाई देने लगा है। मुद्रा स्फीति की दर अक्तूबर में 9.7 से गिरकर नवंबर में 9.1 हो गई। उन्होंने ये चिंता भी जताई कि बढ़ती ब्याज दरों से भारत में कारोबार पर असर पड़ रहा है।
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