हाल में प्रकाशित एक किताब में राहुल गांधी की तुलना उनके चचेरे भाई से करते हुए कहा गया है कि वरूण गांधी अपनी पार्टी बीजेपी में अलग-थलग हैं।एक परिवार, दो भाई, दोनों अलग पार्टियों में। दोनों की विचार धारा अलग। ये हैं राहुल और वरुण गांधी। राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस उन्हें देश के प्रधानमंत्री पद पर देखने चाहती है, तो वहीं वरुण की पार्टी बीजेपी उन्हें लेकर आशंकित रहती है।
बीजेपी को लगता है कि वरुण की रगों में गांधी परिवार का खून दौड़ता है, इसलिए वह उतने विश्वासपात्र नहीं हैं। हाल ही में प्रकाशित किताब 'राहुल' के लेखकों का ऐसा मानना है। पत्रकार जतिन गांधी और वीनू संधू ने अपनी किताब में दोनों भाईयों की तुलना करते हुए लिखा है कि वरुण गांधी अपनी पार्टी अलग-थलग पड़े हैं। उनकी वक्त-बेवक्त भाजपा खिंचाई करती रहती है।
पुस्तक के मुताबिक, राहुल पर राजीव गांधी का असर, जिनकी जनता के बीच अच्छी छवि थी। वहीं वरुण के पिता संजय गांधी अपनी राजनीतिक नीतियों के कारण आलोचना झेलते थे। राहुल गांधी के ‘मिशन यूपी’ पर भरोसा जताते हुए लिखा गया है कि इस बार वह मिशन यूपी फतह कर लेंगे। पिछले लोकसभा के चुनाव में इसी रणनीति के तहत कांग्रेस के सीटों में इजाफा हुआ था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें