केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने हवा से हवा में मार करने वाली 500 फ्रांसीसी मीका मिसाइलें खरीदने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही मिराज-2000 विमानों के अपग्रेडेशन का रास्ता साफ हो गया। एमबीडीए की मीका मिसाइलों को मिराज 2000 के अपग्रेड किए जा रहे बेड़े में लगाया जाना है। इस मिसाइल कि खासियत यह है कि इससे हवा से हवा और जमीन से हवा में हर दो सेकेंड में दुश्मन पर वज्रपात किया जा सकेगा।
आसमान में कोई सीमा नहीं होती। इसलिए देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए मजबूत हवाई सेना का होना जरूरी है। इसलिए हर देश की सेना समय-समय अपने बेड़े में उन्नत किस्म के लड़ाकू विमान शामिल करती है। इसी तरह का एक मजबूत और सक्षम लड़ाकू विमान मिराज 2000 है। हालांकि समय के साथ इसकी तकनीकि कमजोर पड़ गई थी, इसलिए इसमें उन्नत किस्म के मिसाइल लगाए जाएंगे। मल्टिरोल मिराज 2000 लड़ाकू विमान का निर्माण फ्रांस की डसॉल्ट ऐविएशन कंपनी ने किया था। इसकी पहली उड़ान 10 मार्च 1978 को हुई थी। यह विमान फ्रांसिसी वायुसेना के साथ भारतीय वायुसेना, युनाइटेड अरब अमिरात वायुसेना और चिनी रिपब्लिक वायुसेना के बेड़े में शामिल है।
भारत में वज्र के रूप में ख्याति मिराज 2000 में लगाई जाने वाली मीका मिसाइल की खासियत यह है कि यह हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे हवा और जमीन दोनों से इस्तेमाल किया जा सकता है। सिर्फ दो सेकेंड के अंतराल में फायर किए जाने वाले इस मिसाइल का कोई जोड़ नहीं है। इसे 1982 में विकसित किया गया था। पीएम की अध्यक्षता में हुई सीसीएस की बैठक में फ्रांस की कंपनी एमबीडीए से 95 करोड़ यूरो की लागत वाले 500 मीका मिसाइलों के सौदे को मंजूरी दे दी गई। ऑफसेट प्रावधानों के तहत कंपनी को सौदे की लागत का एक-तिहाई (करीब 31.5 करोड़ यूरो) निवेश भारत में करना होगा। मिसाइल सौदा अगले दस साल में अपग्रेड होने वाले 51 मिराज विमानों के बेड़े के लिए है। इनमें से दो विमान पहले ही अपग्रेड के लिए फ्रांस भेजे जा चुके हैं।
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