बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की फ़ीस आज भी मात्र दस रुपये महीना है। बिहार में ये इंजीनियरिंग कॉलेज पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, गया, मोतिहारी और नालंदा में हैं। ये सभी सरकारी कालेज हैं।
यहां के विद्यार्थियों का प्लेसमेंट भी अच्छा होता है। यहां दस रुपये फ़ीस के अलावा मात्र दस हजार रूपये विकास शुल्क के तौर पर चार सालों में एक बार लिए जाते हैं। आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए यह राशि एक हजार रुपये है। फिर भी कई बार इन कालेजों में सीटें खाली ही रह जाती हैं।
एक ओर बिहार में इंजीनियरिंग की इतनी सस्ती पढाई वहीं दूसरी ओर छात्र कई निजी कालेजों में पढ़ते हुए हर साल लाखों रुपये चुकाते हैं। हां, इन सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में मासिक शुल्क व वार्षिक विकास शुल्क के अलावा प्रवेश के समय दो सौ रुपये कॉशन मनी भी जमा करना होता है जिसकी नियमानुसार वापसी भी हो जाती है।
बिहार के सरकारी पॉलिटेक्निक कलेजों में तो इससे भी कम फीस है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक भगवान सिंह ने बताया कि आजतक कभी फीस बढ़ाने की बात ही नहीं हुई है और न ही आगे इसको लेकर कोई जल्दी है।
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