सेना प्रमुख जनरल वी. के. सिंह की जन्मतिथि पर जारी विवाद पर दायर एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह पीआईएल कानूनी तौर पर विचार करने योग्य ही नहीं है। आर्मी चीफ के समर्थन में जनहित याचिका पूर्व सैनिकों के संगठन ग्रेनेडियर्स असोसिएशन (रोहतक) की ओर से दायर की गई थी।
जनहित याचिका में कहा गया था कि सरकार को सेना प्रमुख वी.के. सिंह की जन्मतिथि 10 मई 1951 माननी चाहिए। इसकी सुनवाई चीफ जस्टिस एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने की। कोर्ट ने याचिका को खारिज करने के बावजूद साफ किया कि वह इसके गुण-दोष पर विचार व्यक्त नहीं कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह एक सर्विस से जुड़ा मामला है और जनहित याचिका पर विचार करने से गलत उदाहरण स्थापित होगा व अव्यवस्था पैदा होगी। बेंच ने कहा कि जब इस मामले में आर्मी चीफ की अपनी याचिका लंबित है, तो पीआईएल पर सुनवाई क्यों की जाए। हालांकि, जनरल वीके सिंह की खुद दायर की गई याचिका पर फिलहाल कोर्ट ने सुनवाई की तारीख तय नहीं की गई है।
वी.के. सिंह जब राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में भर्ती हुए थे, तब फॉर्म पर उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 दर्ज हुई थी। बाद में उन्होंने मैट्रिक के प्रमाणपत्र में 10 मई 1951 की जन्मतिथि दिखाकर यही असली होने का दावा किया। उन्होंने इस बारे में तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों की राय निजी तौर पर लेकर रक्षा मंत्रालय के सामने पेश किया, लेकिन मंत्रालय ने अटॉर्नी जनरल की राय को ही महत्व दिया।
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