भारत और चीन ने मंगलवार को दोनों देशों के बीच विवादित सीमा पर शांति कायम करने के लिए सीमा तंत्र की एक रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 15वें दौर की सीमा वार्ता की समाप्ति पर इस रूपरेखा पर हस्ताक्षर हुए। भारत-चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे क्षेत्र में घुसपैठ की शिकायत मिलने पर इस रूपरेखा के तहत दोनों देशों के विदेश कार्यालय एक-दूसरे से सम्पर्क करेंगे।
समझौते के मुताबिक, ''भारत-चीन सीमा क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाने से जुड़े प्रमुख सीमा मामलों को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष एक कार्यकारी तंत्र की स्थापना करने पर सहमत हुए। यह तंत्र दोनों देशों के बीच परामर्श और सहयोग की सुविधा उपलब्ध कराएगा।'' सीमा वार्ता के विशेष प्रतिनिधियों चीन के स्टेट काउंसलर दाई बिंगगुगो और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने अपनी दो दिनों की वार्ता सोमवार से शुरू की।
नक्शे पर सीमांकन की रूपरेखा तैयार करने के लिए यह वार्ता पिछले साल नवंबर में होनी थी लेकिन तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा पर चीन की आपत्ति पर प्रस्तावित वार्ता स्थगित कर दी गई। चीन ने नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक बौद्ध सम्मेलन में दलाई लामा के हिस्सा लेने पर आपत्ति जताई थी लेकिन भारत सरकार ने चीन की आपत्ति के आगे झुकने से इंकार कर दिया। मेनन ने हाल ही में सीमा के सवाल को एक कठिन मुद्दा बताया था और स्पष्ट किया कि दोनों देश तीन चरणों की वार्ता प्रक्रिया के दूसरे दौर में हैं। वार्ता के तीन चरणों में दोनों देश सिद्धांतों, सीमांकन तंत्र की रूपरेखा बनाने और अंतत: सीमा रेखा पर सहमत होंगे।
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