गडकरी ने मोदी का खुलकर पक्ष लिया. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 23 जनवरी 2012

गडकरी ने मोदी का खुलकर पक्ष लिया.


अपने को पार्टी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने से इनकार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने  शीर्ष जिम्मेदारी के लिए मोदी का खुलकर पक्ष लिया और पार्टी प्रमुख के रूप में भी उनकी उम्मीदवार का समर्थन करने का वादा किया। 

गडकरी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री (पद) के लिए कभी भी उम्मीदवार नहीं होऊंगा और न ही किसी को पछाडूंगा। मोदी में भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनने की अच्छी संभावना है। बतौर पार्टी अध्यक्ष दिसंबर में अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहे गडकरी ने कहा कि उन्हें अपना कार्यकाल बढ़ाये जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं सामान्य पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम करने को तैयार हूं। मैं मोदी को पार्टी का दायित्व संभालने के वास्ते उनका समर्थन करूंगा।

 प्रधानमंत्री पद के लिए  पार्टी का संभावित उम्मीदवार के लिए पूछने पर कहा कि भाजपा किसी एक के स्वामित्व वाली पार्टी नहीं है और हम उपुयक्त समय पर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार तय करेंगे। जब गडकरी से पूछा गया कि क्या भाजपा अब नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर पेश करेगी तो उन्होंने कहा कि मोदी में भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री दोनों पद संभालने की क्षमता है।

भाजपा प्रमुख ने उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में उमा भारती को उतारने का जोरदार बचाव किया और इस बात का खंडन किया कि राज्य में इस मुखर नेता को लाने से प्रदेश नेतृत्व में नाराजगी है। उन्होंने कहा कि उमा भारती एक राष्ट्रीय और सम्मानीय पार्टी नेता हैं और रामजन्मभूमि आंदोलन समेत कई परियोजनाओं में अग्रणी रही हैं। यदि इटली की सोनिया गांधी अमेठी से चुनाव लड़ सकती हैं तो उमा भारती के चुनाव मैदान में उतरने में क्या दिक्कत है। उन्होंने कहा कि उन्होंने शुरूआत में घोषित कर दिया था कि उमा उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रचार अभियान की अगुवाई करेंगी और दावा किया कि राज्य के नेताओं के साथ परामर्श के बाद उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया है। जब उनका ध्यान इस बात की ओर आकृष्ट किया गया कि पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यह कहा था कि यदि राज्य में पार्टी सत्ता में आती है तो किसी भी बाहरी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा तो गडकरी ने कहा कि किसी को भी उमा से खतरा महसूस नहीं हो रहा है।

पार्टीजनों से मीडिया से अनाधिकारिक रूप से पार्टी की अंदरूनी बातें नहीं करने की नसीहत देते हुए गडकरी ने उल्टा सवाल दागा, मुझे ऐसे नेताओं के नाम दीजिए जो राज्य (उत्तर प्रदेश) में उन्हें (उमाभारती) लाने से खुश नहीं हैं। उन्होंने कथित दागदार उत्तर प्रदेश के बर्खास्त मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने के फैसले का भी बचाव किया और कहा कि पूर्व बसपा नेता के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है। बताया जाता है कि इस फैसले से लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरूण जेटली जैसे वरिष्ठ नेता खुश नहीं थे। लेकिन गडकरी ने कहा कि किसी भी नेता ने इस फैसला का आधिकारिक रूप से विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि कुछ नेता असहमत थे तो उन्हें मीडिया में अपनी बात रखने के बजाय मुझसे बात करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने की मैं जिम्मेदारी लेता हूं।

गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय नेताओं और राज्य के नेताओं के साथ विचार विमर्श के बाद यह फैसला किया गया था, लेकिन अब यह मुद्दा खत्म समझा जाए क्योंकि कुशवाहा ने स्वयं कहा है कि उनकी सदस्यता निलंबित रखी जाए। राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति के संबंध में उन्होंने कहा कि राजनीति में मेरी शक्ति विश्वसनीयता है। हम बसपा और सपा के साथ कोई भी प्रत्यक्ष या परोक्ष गठजोड़ नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मुख्य चुनौती वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 200 से अधिक सीटें दिलाने की है।

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